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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हम बहुत-से समुदायों के बारेमें मान बैठेंगे कि उनमें किसी प्रकारके सुधारकी आशा नहीं रखनी चाहिए और तब अन्तमें हम केवल मुट्ठी भर लोग ही पूर्णताके प्रतिरूप और श्रेष्ठताके आदर्श रह जायेंगे। दूसरे शब्दोंमें, यदि हम सिर्फ अपनेको ही गुणी व्यक्ति मानेंगे तो अन्तमें स्वराज्य से वंचित रह जायेंगे । इसलिए हमें पुलिसके दुर्गुणों और अपनी आम परिस्थितियोंकी दुर्बलताके लिए कुछ दोष अपने ऊपर भी लेना चाहिए। किन्तु हमारा धैर्य केवल तभी सही सिद्ध होगा जब हम सहूलियत और आरामसे प्यार करने की बजाय दर्द और कष्टसे प्यार करें। यदि हम इस उद्देश्यकी प्राप्तिके लिए अपनी-अपनी लघु भूमिका अच्छेसे अच्छे ढंगसे अदा करते जायें तो, दिन-प्रतिदिन मिल रहे भयानक समाचारोंके बावजूद, हम प्रसन्न रह सकते हैं । फल तो हमें हर हालत में ईश्वरपर ही छोड़ देना चाहिए ।

पंजाबका योगदान

निष्पक्ष पंजाब सरकारने जालन्धरको भी, जो पीछे छूट गया लगता था, अपनेको सम्मानित करनेका अवसर प्रदान किया है। वहाँके प्रमुख कार्यकर्त्ता लाला हंसराज गिरफ्तार कर लिये गये हैं । वे बैरिस्टर हैं और एक पुराने प्रतिष्ठित परिवारके हैं, जो सरकारकी बहुत सेवा कर चुका है। लाला हंसराजका अपराध यह था कि उन्होंने, अम्बाला के लाला दुनीचन्दकी तरह, शराबके ठेकेकी नीलामीपर खुद धरना देनेकी हिम्मत की थी। किसी बैरिस्टर द्वारा वकालतकी जगह नैतिक सुधारका काम अपनानेको कोई भी व्यक्ति एक अच्छाई ही मानेगा । परन्तु भारतमें सरकार ऐसी बातोंको किसी और ही दृष्टिसे देखती है। लेकिन जेल जीवनसे लाला हंसराजका कोई नुकसान नहीं होगा । उनके कृतज्ञ देशवासी एक सफल बैरिस्टरके रूपमें उनकी सेवाओंको जितना मूल्यवान समझते थे, एक राष्ट्रीय बन्दीके रूपमें उन्हें उससे कहीं अधिक मूल्यवान समझेंगे ।

लाला दुनीचन्द अपने पुत्रके पास एक पत्र मुझे भेजने के लिए छोड़ गये हैं । उससे मैं निम्नलिखित अंश यहाँ उद्धृत कर रहा हूँ ।[१] श्रीमती दुनीचन्दने एक छोटेसे पत्रमें बताया है कि यद्यपि उनके पतिका शरीर दुर्बल है, फिर भी वे उन्हें विदा करके बहुत प्रसन्न हैं, क्योंकि वे जानती हैं कि वे जनताकी सेवा कर रहे हैं।

धार्मिक स्वतन्त्रतामें हस्तक्षेप

पंडित अर्जुनलाल सेठीके हिस्से जेलों में धार्मिक उत्पीड़न सहना ही आया है । जब वे जयपुरमें लम्बी कैद भोग रहे थे, तो उन्हें धार्मिक अनुष्ठानकी अनुमति न मिलने के कारण भूख हड़ताल करनी पड़ी थी। अब वे सागर जेलमें बन्द हैं। उनके पुत्रने, जो अजमेरमें हैं, लिखा है :

  1. गांधीजी द्वारा उद्धृत पत्रांशमें बताया गया था कि अदालतके अहातेमें शराबके ठेकेकी नीलामी के अवसरपर वहाँ धरना देनेके लिए श्री दुनीचन्द गिरफ्तार कर लिये गये और शराबकी दुकानोंपर धरना देनेके लिए बहुतसे स्वयंसेवक भी गिरफ्तार किये गये।