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टिप्पणियाँ

दुःखमें हाथ बँटा रहे हैं तो वे देशके साथ-साथ सरकारकी भी सेवा ही कर रहे हैं। यदि सर माइकेल श्री जोशी या मौलाना शौकत अलीकी तरहके जन-सेवक होते और उनकी आचार-संहिता भी इन्हीं जैसी होती तो स्वयं उनके वचनोंके और मेरे द्वारा उद्धृत नियमके अनुसार सर माइकेल ओ'डायर अपराधी ठहरते हैं और पेंशनसे उन्हें ही वंचित किया जाना चाहिए, क्योंकि वे लगातार अपने वेतनदाताओंकी अनिष्टकर निन्दा करके अपने-आपको पेंशन पानेके सर्वथा अयोग्य सिद्ध कर रहे हैं। हो सकता है कि सर माइकेल जो कुछ कहते हैं उसमें उनका विश्वास हो और वे सच्चे दिलसे यह मानते हों कि शिक्षित भारतीय निपट मूर्ख होते हैं या अपने देशके प्रति गद्दारी करते हैं और यहाँकी अशिक्षित जनता पशुओंसे बेहतर बरतावके योग्य नहीं है; परन्तु यह एक बिलकुल अलग बात है । किसी कामके पीछे आदमीके मनमें उद्देश्य क्या है यह तो ईश्वर ही जानता है । किन्तु हम मनुष्य तो दूसरेके उद्देश्यको कामसे ही समझ सकते हैं और जिस तरह असहयोगियोंको उनके उद्देश्यसे नहीं परखा जाता जिसकी वे मंचोंसे निरन्तर घोषणा करते रहते हैं अथवा जिसकी वे शपथ लेते हैं बल्कि उन्हें उनके तथा उनके साथियोंके कार्योंसे ही परखा जाता है; यह बिलकुल ठीक है । इसी तरह पेंशन पानेवाले जन सेवकोंके बारेमें या अन्य लोगोंको भी वे जो कुछ करते हैं, उसीसे आँकना चाहिए न कि उससे जो वे सोचते या जो कहते हैं ।

अली-भाई

चूँकि अधिकारी लोग उसे तारके रूपमें नहीं आने देते थे अतः कराचीसे साधारण डाकके जरिये एक तार आया है; उसे मैं नीचे दे रहा हूँ:[१]

जेलमें मौलाना मुहम्मद अलीका वजन २५ पौंड कम हो गया है ।
उन्हें मधुमेह की बीमारी है। उसके लिए जेलके स्वास्थ्य अधिकारीने भोजन में मूँगफली और पनीर शामिल करनेको कहा है। अधीक्षकका मंशा ये चीजें देनेका न था परन्तु अन्ततोगत्वा प्रतिदिन एक आनेकी मूंगफली वी जाने लगी और मौलानाके आग्रह करनेपर बढ़ाकर दो आने रोजकी कर दी गईं। यह उनका सुबहका भोजन है ।
...मौलाना शौकत अली, डाक्टर किचलू, मौलवी निसार अहमद, पीर गुलाम मजीदसे शनिवार २८ तारीखको कहा गया कि उन्हें अपनी जामातलाशी देनी होगी। ऐसी तलाशी आमतौरपर सजायाफ्ता अपराधियोंको ही देनी पड़ती है । इस तलाशी में उन्हें नंगा होना पड़ता है बदनपर एक ढीली लँगोटीभर रहने दी जाती है और तलाशी के समय उन्हें अपने हाथ ऊँचे करने पड़ते हैं और अपना मुंह भी खोलकर दिखाना पड़ता है ताकि मालूम हो जाये कि कहीं कुछ छिपा हुआ नहीं है। मौलाना शौकत अली और उनके साथी
 
  1. यहाँ तारके केवल कुछ अंश ही दिये जा रहे हैं ।