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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सभी तरह के विदेशी वस्त्रोंका बहिष्कार और हाथ-कती खादीका उत्पादन तथा प्रयोग; हिन्दुओं द्वारा अस्पृश्यताका उन्मूलन तथा सभीके द्वारा अहिंसाका पालन --- ये चारों मानो किसी तरुतके चार पाये हैं । इनमें से एकको भी अलग कर दें तो वह खड़ा नहीं रह सकता ।

खादी टोपीपर प्रतिबन्ध

एक मित्रने मुझे एक कशमकशसे सम्बन्धित कागज भेजे हैं । रत्नागिरी जिलेमें देवरुख के एक स्थानीय वकीलका खादी टोपीको लेकर एक सब-जजसे झगड़ा हो गया । स्थानीय वकील श्री जे० वी० वैद्यके विरुद्ध उस सब-जजने निम्नलिखित आदेश दिया है :

श्री वैद्य आज न्यायालय में खादीकी टोपी, जिसे सामान्यतः "गांधी टोपी" कहते हैं, लगाकर उपस्थित हुए । मुख्य न्यायाधीश द्वारा रत्नागिरी जिला न्यायाधीशको हाल ही में प्रेषित एक पत्रमें प्रकट उच्च न्यायालय के मत के अनुसार, जिसका विवरण देवरुख न्यायालयको भी भेजा गया था, मैंने श्री वैद्यको बता दिया है कि आज खादीकी टोपी पहनकर उनका न्यायालय में उपस्थित होना न्यायालयका अपमान है । अतः मैंने उन्हें आदेश दिया कि वे तत्काल न्यायालय से बाहर चले जायें तथा जिला न्यायाधीश अथवा उच्च न्यायालय द्वारा अन्यथा आदेश न दिये जाने तक भविष्य में कदापि इस प्रकार उपस्थित न हों । मैने उन्हें यह भी चेतावनी दे दी है कि यदि वे फिर कभी ऐसी टोपी पहनकर न्यायालय में उपस्थित हुए तो उन्हें न्यायालयकी मानहानिके सभी परिणामोंको भुगतनेका खतरा उठाना पड़ेगा । इस आदेश तथा श्री वैद्यके वक्तव्यकी एक-एक प्रति जिला न्यायाधीशको प्रेषित कर दी जायेगी ताकि इस सम्बन्धमें जो भी कार्यवाही वे उचित समझें की जा सके ।

मुख्य न्यायाधीश द्वारा न्यायालयोंको प्रेषित पत्रके अंशोंकी प्रतिलिपि इस प्रकार है :

उच्च न्यायालय वकीलों द्वारा न्यायालय में गांधी टोपीके प्रयोगके निश्चय ही विरुद्ध है और वह न्यायालय में किसी वकील द्वारा गांधी टोपीका प्रयोग न्यायधीश की अवमानना का अपराध मानेगा ।

हम आशा करते हैं कि उच्च न्यायालय के विचारों को जान लेने पर वकील तदनुसार करना ठीक समझेंगे ।

कोई भी वकील पगड़ी के अतिरिक्त सिरपरअन्य कुछ धारण करके अदालत में न आये।

कृपया इन वकीलो को सूचित कर दे कि उच्च न्यायालय उनके ऐसे आचरण को बिलकुल अमान्य करता है ।