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प्रस्ताव : बारडोली कार्य समितिके

 (८) कार्य समितिके सामने इस आशयकी शिकायतें आई हैं कि स्वयंसेवक दलोंके गठन में बहुत ही ढीलढाल बरती जाती है और हाथकते, हाथबुने खद्दरके प्रयोग- का, और हिन्दुओं द्वारा अस्पृश्यता निवारणके नियमका आग्रहपूर्वक पालन नहीं किया जाता; यह जानने की सावधानी भी नहीं बरती जाती है कि उम्मीदवार कांग्रेसके प्रस्तावके अनुसार अहिंसापर मन, वचन, कर्मसे विश्वास करता है अथवा नहीं । इसलिए कार्य समिति सभी कांग्रेस संगठनोंको अपनी-अपनी स्वयंसेवक सूचियोंपर पुनर्विचार करनेका आदेश देती है और उनमें से ऐसे सभी स्वयंसेवकोंके नाम हटा देने को कहती है जो शपथकी अपेक्षाओंको सब तरहसे पूरा नहीं करते ।

(९) कार्य समितिकी राय है कि जबतक कांग्रेसके लोग कांग्रेस संविधानको तथा कार्य समिति द्वारा समय-समयपर पास किये गये प्रस्तावोंपर पूर्ण रूपसे अमल नहीं करते तबतक अपना उद्देश्य शीघ्र या देरीसे भी पूरा कर पाना सम्भव नहीं है ।

(१०) अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी बैठक विशेष रूपसे न बुलाये जाने तक और उसके द्वारा इनकी पुष्टि हो जानेतक उपर्युक्त प्रस्ताव लागू होंगे। सचिव ऐसी बैठक हकीम अजमल खाँसे सलाह करके यथासम्भव शीघ्र बुलायेगे ।[१]

नया कार्यक्रम

चूंकि गोरखपुरकी दुःखद घटना इस बातका जबरदस्त सबूत है कि आम जनताने अभीतक पूरी तरहसे सामूहिक सविनय अवज्ञाके अविच्छिन्न, सक्रिय और मुख्य अंगके रूपमें अहिंसाकी आवश्यकता महसूस नहीं की है; और चूंकि कहा जाता है कि कांग्रेस के निर्देशके विपरीत ही, बिना छानबीन किये लोगोंको स्वयंसेवकके रूपमें स्वीकार कर लिया गया है, इससे यह जाहिर होता है कि सत्याग्रहके प्रमुख तत्त्वको ठीक-ठीक नहीं समझा गया है; और चूंकि कार्य समितिकी रायमें राष्ट्रीय उद्देश्य की पूर्ति में देर होनेका एकमात्र कारण कांग्रेस संविधानपर ज्यों-त्यों, आधा दूधा अमल करना ही है, कार्य समिति आन्तरिक संगठनको पूरी तरह ठीक बनानेके खयालसे सभी कांग्रस संगठनों को सलाह देती है कि वे निम्नलिखित कार्यवाहियोंमें लग जायें:

१. कमसे कम एक करोड़ कांग्रेस सदस्य बनायें ।

टिप्पणी (१) : चूंकि शान्ति (अहिंसा) और वैधता (सत्य)[२] कांग्रेस सिद्धान्त के मूल तत्त्व हैं, इसलिए ऐसे किसी भी व्यक्तिको सदस्य नहीं बनाया जाना चाहिए जो स्वराज्य-प्राप्ति के लिए अहिंसा और सत्यको अपरिहार्य नहीं मानता।[३]इसलिए जिस व्यक्तिसे भी कांग्रेस में सम्मिलित होने को कहा जाये उसे सावधानीसे कांग्रेसके सिद्धान्त भी समझाये जाने चाहिए ।

 
  1. अ० भा० कां० कमेटीने जो संशोधित पाठ पास किया था उसमें ये अनुच्छेद प्रस्ताव सं० १ और इसके बादके अनुच्छेद प्रस्ताव सं० ३ के रूपमें हैं। उनपर १२ फरवरी की तारीख दी गई हैं; देखिए यंग इंडिया, २-३-१९२२ ।
  2. यहाँ पर अ० भा० कां० कमेटीके प्रस्तावमें है: “शान्तिपूर्ण और वैध तरीके "।
  3. . अ० भा० कां० कमेटीके प्रस्तावमें है: “जैसे उपायोंमें विश्वास नहीं करता है।"

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