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पत्र: सर डेनियल हैमिल्टनको


बहुत अधिक है और वह प्रभाव ऐसा है जिसका उपयोग मैं चरखे के प्रचलनके लिए करना चाहूँगा। सफल सहकारी समितियाँ स्थापित करनेकी दृष्टिसे भी यह सबसे कारगर साधन है । करोड़ों लोगों के सक्रिय सहयोग के बिना यह आयोजन कभी सफल नहीं हो सकता; और चूंकि यह अभीसे हजारों स्त्रियोंको लज्जाजनक जीवनसे मुक्ति दिलाने का एक साधन सिद्ध हो रहा है, इसलिए यह नैतिक उत्थानमें भी उतना ही सहायक है जितना कि आर्थिक प्रगतिमें ।

आशा है, आपने यदि यन्त्रोंके खिलाफ मेरे विचित्र विचारोंके बारेमें कुछ सुना हो तो उनसे आप अपने मनमें पहलेसे ही कोई धारणा नहीं बना लेंगे । यन्त्रोंके द्वारा भारत में और किसी उद्योगका विकास किया जाये तो उसके खिलाफ मुझे कुछ नहीं कहना है, लेकिन जहाँतक वस्त्र उद्योगकी बात है, मैं अवश्य यह कहता हूँ कि बड़ी- बड़ी मिलोंमें -- चाहे वे भारतीय हों या विदेशी - बने कपड़ेसे भारतकी वस्त्र सम्बन्धी आवश्यकता की पूर्ति करना प्रथम श्रेणीकी आर्थिक भूल है । जिस प्रकार भारतमें कुछ प्रमुख केन्द्रोंमें बड़ी-बड़ी पाकशालाएँ खोलकर लोगोंको सस्ते दामपर रोटियाँ उपलब्ध कराना और घर के चूल्हे-चक्कियाँ बन्द करवा देना एक भारी भूल होगी उसी प्रकार मिलोंमें बने कपड़े से देशकी जरूरतको पूरा करना भी एक जबरदस्त गलती होगी।[१]

आपका विश्वस्त,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ६-४-१९२२

...विशाल कारखानोंकी प्रणालीके सम्बन्धमें मैं आपके विचारोंसे पूर्णतया सहमत हूँ... भारत में जिस चीजको वर्द्धमान देखना चाहता हूँ, और मेरा विचार है कि आप भी वैसा ही चाहते हैं, वह है ऐसा स्वराज्य, जिसकी शक्ति बुरे तरीकेसे प्राप्त धनसे नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवनसे आँकी जायेगी । इस बीच मैं आशा करता हूँ कि आप सरकारके प्रति अत्यधिक कठोर नहीं बनेंगे ।... मैं चाहूँगा कि आप पुराने शासनको नष्ट करनेवाले देवदूत नहीं, बल्कि नये शासनके महान् निर्माता बनें । "

 
  1. सर डेनियलके उत्तरके कुछ अंश इस प्रकार थे : “ आपने चरखेके बारेमें जो कुछ कहा है उसके सम्बन्धमें मैं भारतके ग्रामीण जीवनके अपने वैयक्तिक अनुभव के आधारपर कहता हूँ कि न केवल चरखेको बल्कि हाथ करघेको भी आधुनिक आर्थिक साधनों का लाभ और उपयुक्त अवसर दिया जाये, तो वे सफलतापूर्वक वाष्पशक्ति के साथ प्रतियोगिता कर सकते हैं इसका कारण यह है कि जिन चार महीनों में खेतीका कोई काम नहीं रहता उनमें जो श्रम अधिकांश रूपमें व्यर्थ जाता है वह इस कामके लिए मुफ्त ही मिल जायेगा । उस सूत और कपड़े से और कोई कपड़ा या सूत सस्ता नहीं हो सकता जिसपर कि केवल कच्चे मालके लिए खर्च किया गया हो ।