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स्वराज्यका निर्माण करें । जब जेलके अधिकारी हमें मारते-मारते थक जायेंगे तब निश्चय ही वे हमपर गोलियाँ चलाना शुरू करेंगे और जब वे ऐसा करें तो हम उससे पस्तहिम्मत न हों बल्कि कह सकें, 'नजर सामने', बस, तभी स्वराज्य स्थापित हुआ रखा है, क्योंकि तब हम कष्टसहनकी असीम क्षमता प्राप्त कर चुकेंगे ।

" जैसा कि दूसरे सब देशों में "

आगे हमें जिस भीषण परिस्थितिका सामना करना पड़ सकता है, उसका उक्त चित्रण मुझे इसलिए करना पड़ा है क्योंकि गैरकानूनी दमनके जो आरोप मैंने सरकार- पर लगाये थे, उनसे जहाँ वाइसराय महोदयने साफ इनकार कर दिया था वहीं सर विलियम विन्सेंटने सरकारी दमन सम्बन्धी मेरे लगभग सभी आरोपोंका उत्तर देते हुए दमनकी कार्रवाइयोंको उचित ठहराया है। पहले सरकार ऐसे तथ्योंको बिलकुल गलत बता दिया करती थी जिनसे उसकी स्थिति अटपटी हो जाती थी। लेकिन सर विलियमने जो कुछ कहा है उससे स्पष्ट है कि सरकार अब झूठे सौजन्यके इस जामेको भी उतार फेंकना जरूरी समझने लगी है । जिस साहसके साथ अब लोग हर अत्याचारका भण्डाफोड़ करने लगे हैं उसे देखते चूंकि सरकारके लिए तथ्यों पर पर्दा डालना असम्भव हो गया है, इसलिए सरकारने अपने अत्याचारोंको उचित ठहराने की दुस्साहसपूर्ण नीति अपनाई है। मालूम होता है कि सर विलियम विधान सभा के सदस्योंको खास तौरपर मूर्ख समझते हैं। पहले तो उन्होंने उनके सामने आम तौरपर उन बातोंसे इनकार किया और कहा कि यह विधान सभा के अधिकारकी बात नहीं कि प्रान्तीय शासनकी बातोंपर विचार किया जाये। फिर उन्होंने गम्भीरतम आरोपोंका भी बचाव इन शब्दोंमें किया है :

दो खास इलजाम ऐसे हैं जिनकी ओर मुझे आपका ध्यान अवश्य आकर्षित करना चाहिए । एकका सम्बन्ध गैरकानूनी सभा समितियोंको बलपूर्वक भंग करनेसे है, और मैं आपसे यह साफ तौरपर कह देना चाहता हूँ कि सरकारका इरादा यह है कि जहाँ-कहीं अधिकृत सरकारी अफसरों द्वारा गैर-कानूनी सभाओंको भंग करने का आदेश दिया जाये और वे भंग न की जायें तो आवश्यकतानुसार उन्हें बलपूर्वक भंग कर दिया जाये जैसा कि दूसरे तमाम मुल्कोंमें होता है। ऐसी दशामें बलप्रयोग ही एकमात्र इलाज है । दूसरे यह कि श्री गांधीने जो अपने इस वक्तव्यमें रातको ली जानेवाली तलाशियों और गिरफ्तारियोंकी बात उठाई है उसकी ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया गया है। भारत सरकार ऐसा कोई आश्वासन नहीं देगी कि इस सम्बन्धमें जहाँ-कहीं आवश्यक होगा, वहाँ दिनको या रातके समय तलाशियाँ नहीं ली जायेंगी या गिरफ्तारियाँ नहीं की जायेंगी ।

यह जवाब काफी खरा जवाब है । इससे कोई बहुत फर्क नहीं पड़ता कि निहत्थे लोगोंपर बलप्रयोग करना और आधी रातको घरोंमें घुस जाना आदि बातें मामूली कार्रवाई के नामपर की जाती हैं। इससे तो केवल इस आरोपकी पुष्टि ही होती है


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