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प्रस्ताव : अ० भा० कां० कमेटीकी बैठकमें

  विभिन्न क्षेत्रोंसे ऐसी सूचना प्राप्त होनेपर कि विदेशी वस्त्रकी दुकानोंपर धरना देना उतना ही जरूरी है जितना कि शराबकी दुकानोंपर धरना देना । अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी विदेशी वस्त्रोंकी दुकानोंपर वास्तविक धरनेकी उन्हीं शर्तोंपर स्वीकृति देती है जो शराबकी दुकानोंपर धरनेके बारेमें बारडोली प्रस्तावोंमें कही गई हैं ।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी चाहती है कि यह बात समझाई जाये कि कार्य- समितिके प्रस्तावोंका आशय यह नहीं है कि कांग्रेसका मूल असहयोग कार्यक्रम रद माना जाये या सामूहिक सविनय अवज्ञाको हमेशा के लिए बन्द कर दिया गया है; वरन् कार्य समितिका खयाल है कि बारडोलीमें उसके द्वारा गढ़े गये रचनात्मक कार्यक्रमपर यदि कार्यकर्त्ता पूरा ध्यान दें तो आवश्यक सामूहिक अहिंसाका वातावरण स्थापित किया जा सकता है ।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी राय है कि जब शासक वर्ग जनताकी घोषित इच्छाका विरोध करे तब सविनय अवज्ञा करना जनताका अधिकार और कर्त्तव्य भी बन जाता है ।

टिप्पणी : यदि किसी एक ही व्यक्ति द्वारा या एक निश्चित संख्यामें आये हुए व्यक्तियोंके द्वारा या लोगोंके किसी दलके द्वारा सरकारी हुक्मों या कानूनोंकी अवज्ञा की जाये तो वह वैयक्तिक सविनय अवज्ञा है। इसलिए एक निषिद्ध सार्वजनिक सभा जिसमें टिकटोंसे प्रवेशपर नियन्त्रण रखा गया है, जिससे किसी भी अनधिकृत व्यक्तिके प्रवेशकी अनुमति नहीं है, वैयक्तिक सविनय अवज्ञाका उदाहरण है, जब कि एक निषिद्ध सभा जिसमें बिना किसी प्रकारके नियन्त्रणके आम जनताको प्रवेश मिले, सामूहिक सविनय अवज्ञाका उदाहरण है। ऐसी सविनय अवज्ञा उस सूरतमें प्रतिरक्षात्मक मानी जायेगी जब एक साधारण कार्यवाहीके लिए कोई सार्वजनिक सभा की जाये, चाहे उसके परिणामस्वरूप लोगोंको गिरफ्तार ही क्यों न किया जाये। जब ऐसी सभा कोई साधारण कार्यवाही पूरी करनेके लिए न की जाये, फक्त गिरफ्तार होने और जेल भेजे जाने के लिए की जाये, तब वह आक्रामक होगी ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २-३-१९२२