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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

(१५ दिसम्बर, १९२१ से ३ मार्च, १९२२ तक )

१५ दिसम्बर : गांधीजीने 'यंग इंडिया ' में प्रकाशित " "एक उलझन और उसका हल शीर्षक लेखमें लिखा कि " असहयोगी सरकार के साथ संग्राम कर रहे हैं" । देशबन्धु दासकी पत्नीकी गिरफ्तारीपर टीका करते हुए महिलाओंसे सरकारकी चुनौतीको स्वीकार कर असहयोग आन्दोलनमें भाग लेनेका अनुरोध किया। श्रीप्रकाशको उनके पिता बाबू भगवानदासकी गिरफ्तारीपर बधाईका तार भेजा । १७ दिसम्बर : जवाहरलाल नेहरूको भारतीय दण्ड विधि संशोधन अधिनियम के अन्तर्गत ६ महीने की सादी कैद और १०० रुपये जुर्मानेकी सजा दी गई।

१९ दिसम्बर : मालवीयजीको तार भेजा कि जबतक सरकार अपनी गलती न माने और सभी मसलोंका निबटारा करने की कोशिश न करे तबतक गोलमेज सम्मेलन सफल नहीं होगा । देशबन्धु दास और मौलाना आजादको भेजे तारमें प्रस्तावित हड़ताल स्थगित करने की शर्तें बताई । खण्ड १२४-क और १२३- क के अधीन जमानत जमा कराने से इनकार करने- पर एस० ई० स्टोक्सको ६ महीने की सादी कैद की सजा दी गई। भारतीय दण्ड विधि संशोधन अधिनियम के अन्तर्गत लाला शंकरलालको ४ मासकी कड़ी कैद की सजा ।

२० दिसम्बर : अहमदाबादमें गांधीजीने प्रस्तावित गोलमेज सम्मेलन के सम्बन्धमें एसो- सिएटेड प्रेसके प्रतिनिधिसे भेंट की । इलाहाबादमें 'इंडिपेंडेंट' की जमानत जब्त हो गई; 'अभ्युदय 'के सम्पादक कृष्ण- मन्त्री जियाराम सक्सेनाको १८ कान्त मालवीय और गोविन्द मालवीयको धरना देने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया। संयुक्त प्रान्त कांग्रेस कमेटी के महीने की कड़ी कैदकी सज़ा दी गई । हैदराबाद (सिन्ध) में प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के मन्त्री जयरामदास दौलतरामको भारतीय दण्ड संहिताके खण्ड १२४ क के अधीन गिरफ्तार कर लिया गया ।

२० दिसम्बर या उसके पश्चात् : मालवीयजीको तार भेजा कि मैं प्रस्तावित गोलमेज सम्मेलन होनेतक असहयोग आन्दोलनको स्थगित नहीं कर सकता ।

२१ दिसम्बर : कलकत्ते में मालवीयजी के नेतृत्वमें एक शिष्टमण्डल वाइसरायसे मिला । वाइसरायने शिष्टमण्डलको उत्तर देते हुए कहा कि अगर सरकारको खुले आम और साफ-साफ चुनौती दी जाती है तो सम्मेलन बुलानेकी बातपर विचार करना भी असम्भव है । चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और ए० सुब्रह्मण्य शास्त्रीको खण्ड १४४ के अधीन जारी किये गये आदेशकी सविनय अवज्ञा करनेके अपराधमें तीन-तीन महीने की कड़ी कैदकी सजा दी गई ।