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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
लाजपतराय, के० सन्तानम्, मलिक खाँ और डा० गोपीचन्द रिहा हुए; लाजपत- राय १९०८के दण्ड विधि संशोधन अधिनियम के अन्तर्गत पुनः गिरफ्तार कर लिये गये ।
१ फरवरी : वाइसरायको पत्र लिखा कि यदि सरकार अहिंसक हलचलोंमें हस्त- क्षेप न करने, वाणी, सभा-संगठन और अखबारोंकी पूर्ण स्वतन्त्रताके सम्बन्धमें अपनी नीतिकी स्पष्ट घोषणा नहीं करती तथा असहयोगी कैदियोंको रिहा नहीं करती तो बारडोलीमें सामूहिक सविनय अवज्ञा प्रारम्भ कर दी जायेगी ।
४ फरवरी : चौरीचौराका काण्ड; थानेपर हमला; इक्कीस सिपाही तथा चौकीदार मार डाले गये ।
५ फरवरी : बारडोलीमें सविनय अवज्ञाके लिए बारडोलीकी उपयुक्तताके सम्बन्धमें गांधीजीने 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे भेंट की ।
बारडोलीकी जनताके नाम लिखी गई पत्रिका संख्या १ का वितरण ।
६ फरवरी : वाइसरायके नाम लिखे गांधीजीके पत्रके उत्तरमें सरकारने एक विज्ञप्ति जारी की।
७ फरवरी : समाचारपत्रोंको गांधीजीने सरकारी विज्ञप्तिका प्रत्युत्तर भेजा ।
८ फरवरी : बारडोलीसे कार्य समितिके सदस्योंके नाम गश्तीपत्र भेजकर सविनय अवज्ञाके स्थगनके बारेमें उनका मत माँगा।
बंगाल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके अध्यक्ष हरदयाल नागको बिना शर्त रिहा कर दिया गया ।
९ फरवरी : अहमदाबाद नगरपालिका भंग कर दी गई ।
'यंग इंडिया' में गांधीजीने सरकारी अनाचारकी चर्चा की तथा घोषित किया कि प्रतिरक्षात्मक सविनय अवज्ञा हर कीमतपर जारी रखनी चाहिये । "
१० फरवरी : बारडोलीमें कांग्रेस कार्यकर्त्ताओंकी बैठकमें गांधीजीने सविनय अवज्ञा आन्दोलनको तुरन्त बन्द कर देनेके अपने निर्णयकी घोषणा की ।
११ फरवरी : बारडोलीमें कार्य समितिकी बैठक ।
१२ फरवरी : चौरीचौरा - काण्डका प्रायश्चित्त करनेके लिए गांधीजी द्वारा पाँच दिनका उपवास ।
कार्य समितिकी बैठकने चौरीचौराकी घटनाओंको मद्देनजर रखते हुए सविनय अवज्ञा स्थगित करनेका प्रस्ताव पास किया ।
'नवजीवन' में गांधीजीने चौरीचौरा काण्डकी भर्त्सनाकी एक दूसरे लेख में उन्होंने पुनः उन शर्तोंको दोहराया जिनका कि स्वराज्य प्राप्त करने के लिए जनता द्वारा पालन किया जाना जरूरी था ।
१४ फरवरी : युवराज दिल्ली पहुँचे ।
१५ फरवरी : बारडोलीमें अपने भावी कार्यक्रमके सम्बन्धमें गांधीजीकी 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे भेंट ।
सर डैनियल हैमिल्टनको पत्र लिखा जिसमें भारतके लिए चरखके महत्त्वकी चर्चा की।