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२९. तार: चित्तरंजन दास और अबुल कलाम आजादको[१]

१९ दिसम्बर, १९२१

चित्तरंजन दास
अबुल कलाम आजाद

आपका तार मिला। सम्मेलनके गठन और उसकी तिथि पहलेसे निश्चित होनी चाहिए। रिहाईमें कराचीके बन्दियों सहित फतवेके[२] लिए सजा पाये सभी बन्दियोंकी रिहाई भी शामिल होनी चाहिए। यदि आपकी लगाई शर्तोंके साथ इन शर्तोंको मान लिया जाये तो मेरी रायमें हम हड़तालका निर्णय छोड़ सकते हैं।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७७३०) की फोटो-नकलसे।

३०. मथुरादास त्रिकमजीको[३] लिखे एक पत्रका अंश

मंगलवार, २० दिसम्बर, १९२१

…मैं २२ तारीखको खादीनगरमें[४] ही रहूँगा। आप भी वहीं रहें। मैं आपको अपने साथ अथवा अपने पास ही रखूंगा। आपका पाँव यहीं जल्दी ठीक होगा। ऐसे जख्मको भरनेके लिए यहाँकी आबहवा बहुत अनुकूल है।

[गुजरातीसे]
बापुनी प्रसादी
  1. यह तार सर्वश्री दास और मौलाना आजादके १९ दिसम्बर, १९२१ के इस तारके उत्तर में भेजा गया था: "हम इन शर्तोंपर हड़ताल वापस लेना ठीक समझते हैं; १. सरकार कांग्रेस द्वारा उठाये सभी प्रश्नोंपर शीघ्र विचार करनेके लिए एक सम्मेलन बुलाये। २. हालकी सरकारी विज्ञप्ति और पुलिस तथा मजिस्ट्रेट द्वारा निकाले हुए आदेश वापस लिये जाय। ३. इस नये कानून के तहत सभी बन्दियोंकी बिना शर्त रिहाई हो। कलकत्ता प्रेसीडेंसी जेलके सुपरिटेंडेंटकी मार्फत शीघ्र उत्तर दीजिए।"
  2. मुसलमान धार्मिक नेताओं द्वारा जारी किये गये फतवे
  3. १८९४-१९५१; गांधीजीकी सौतेली बहनके पौत्र; समाजसेवी, लेखक और गांधीजीके अनुयायी; बम्बई कांग्रेस कमेटीके मंत्री, १९२२-२३; बम्बई नगरनिगमके सदस्य, १९२३-२५।
  4. अखिल भारतीय कांग्रेसके ३६ अधिवेशनके लिए अहमदाबादके समीप बनाये गये नगरका नाम।