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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इतना सही अर्थ किया है। इससे एक बार फिर यहीं साबित होता है कि मानव-प्रकृति भिन्न-भिन्न वातावरणोंमें विकसित होनेपर भी मूलतः एक ही है।[१]

आदर सहित,

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

[पुनश्च :]

कृपया पेन्सिलसे लिखने के लिए क्षमा करें। अभी मेरा हाथ इतना काँपता है कि मैं कलमसे नहीं लिख पाता।

मो॰ क॰ गांधी

श्री रोमां रोलां

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८५६५) की फोटो-नकलसे।
 

२०५. वक्तव्य : समाचारपत्रोंको[२]

बम्बई
२३ मार्च, १९२४

केप टाउनसे दक्षिण आफ्रिकी भारतीय कांग्रेस के महामन्त्री, श्री पत्तरके हस्ताक्षरसे निम्नलिखित तार आया है :

दक्षिण आफ्रिकी भारतीय समाजका निवेदन है कि संघ सरकार जोरदार विरोधके बावजूद अपने वचनोंका उल्लंघन करके वर्ग क्षेत्र विधेयक पास करानेपर तुली हुई है। विधेयकका कोई भी औचित्य नहीं है। विदेशियों, यूरोपीय आफ्रिकियों, मलय लोगों और वतनी लोगोंको विमुक्ति दी जा रही है। विधेयक केवल भारतीयोंपर लागू होगा। केप टाउनमें यूरोपीय
  1. रोमां रोलाने २४ फरवरीको महादेव देसाईके नाम अपने पत्र में भी यही लिखा था : "यदि मैंने अनजाने ही इस छोटी-सी पुस्तकमें, जो मैंने महात्माजीको समर्पित की है, थोड़ी-सी भूलें कर दी हों तो वे मुझे उस अत्यधिक प्रेम और श्रद्धाका विचार करके क्षमा कर देंगे जो उनके जीवन और तत्त्वज्ञानके कारण उनके प्रति मेरे मन में उत्पन्न हो गये हैं। एक यूरोपीयसे किसी एशियाई मनुष्य या राष्ट्रके सम्बन्ध में ठोक मत स्थिर करनेके विषयमें भूल हो ही सकती है। किन्तु जब उसे वहाँ भी सर्वव्यापी परमात्मा और व्यापक प्रेमके दर्शन होते हैं तो ये भूलें नगण्य ही ठहरती हैं। हमारे एक यूरोपीय महात्मा बीथोवन अपने 'आनन्दकी प्रशस्ति' (ओड टु ज्वाप) में कहा है "आओ हम करोड़ों लोग एक दूसरेको गले लगायें।" (एस॰ एन॰ ८५७३)।
  2. यह वक्तव्य प्रायः सभी प्रमुख समाचारपत्रों में प्रकाशित हुआ था। यंग इंडियाने इसे 'वर्ग क्षेत्र विधेयक' शीर्षकसे उद्धृत किया था।