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पत्र : घनश्यामदास बिड़लाको

मनमें क्या है, यह मैं नहीं जानता । शायद वे इस मुद्दे पर बातचीत करनेके लिए यहाँ आयेंगे। मैं सिर्फ वही करना चाहता हूँ जो सही है ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ९००० ) से ।

२३२. पत्र : विट्ठलभाई झ० पटेलको

साबरमती
२४ जुलाई, १९२४

महोदय,

इसी १९ तारीखका आपका पत्र मिला । मुझे मालूम हुआ है कि नगर निगमके मानपत्रको स्वीकार करनेके लिए अगस्त के अन्तमें कोई तारीख निश्चित की जाय तो वह निगमको भी समान रूपसे सुविधाजनक होगी । फिर भी यदि आपको सुविधा हो तो मैं मानपत्र स्वीकार करनेके लिए ३० अगस्तका सुझाव देता हूँ। क्या आप कृपया मुझे सूचित करेंगे कि मुझे कब और किस स्थानपर इस रस्मको पूरा करने के लिए हाजिर होना पड़ेगा ।

आपका,

श्री वि० झ० पटेल, बार एट-ला
अध्यक्ष, नगर निगम
बम्बई
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ८८११ ) की फोटो-नकलसे ।

२३३. पत्र :घनश्यामदास बिड़लाको

आषाढ़ बदी ८ [ २४ जुलाई, १९२४ ][१]

भाईश्री घनश्यामदासजी,

आपका पत्र मिला है ।

अहिंसाभावसे हिंसा भी हो सकती है ऐसा अबतक मेरी कल्पनामें नहिं आ सका है । मैंने खूब सोचा है । मेरा यह भी मन्तव्य है कि जबतक हम स्वयं गुणातीत न बन सकें हम इस वस्तुको पूर्णतया सोच भी नहिं सकते हैं ।

आनंदस्वामीने आपको यंग इंडिया इ०के लीये बील भेज दीया है ।

  1. १. यंग इंडिया बिलके प्रसंगसे स्पष्ट है कि यह २६ जून, १९२४ को प्रेपीको लिखे गये पत्रके बाद लिखा गया था । १९२४ में आषाढ़ बदी ८, २४ जुलाईको पड़ी थी।