नहीं देता, वह किसी कांग्रेस कमेटी या संगठनका सदस्य नहीं होगा और यह भी कि कोई व्यक्ति एक ही वक्तमें दो समानान्तर कांग्रेस संगठनोंका सदस्य नहीं होगा।
(२) सदस्यताका वर्ष १ जनवरीसे ३१ दिसम्बरतक माना जायेग। उपर्युक्त चन्दा पेशगी देना होगा और इसे २००० गज प्रति माहकी अग्रिम किस्तोंमें दिया जा सकेगा। वर्ष के बीचमें सदस्य बननेवालोंको पूरे वर्षके लिए सूतकी पूरी मात्रा देनी होगी।
संक्रमणकालीन व्यवस्था
१९२५की अवधिमें चन्दा केवल २०,००० गज ही रहेगा और इसे १ मार्चको या उससे पहले दिया जा सकेगा, या जैसा कि ऊपर बताया गया है माहवारी किस्तोंमें दिया जा सकेगा।
(३) जिस व्यक्तिने सूतके रूपमें अपना चन्दा या उसकी बकाया किस्त अदा नहीं की हो, वह प्रतिनिधियोंके चुनावमें, या कांग्रेस संगठनकी किसी समिति या उप-समितिके चुनावमें भाग नहीं ले सकेगा और न स्वयं उस रूपमें चुना जा सकेगा। वह कांग्रेस या किसी कांग्रेस संगठन या उसकी किसी समिति या उप-समितिकी बैठकमें भी भाग नहीं ले सकेगा। सूतके रूपमें चन्दा देनेमें चूक करनेवाले सदस्यके अधिकार, जब वह बकाया चन्देका सूत और चालू महीनेकी किस्त अदा कर देगा तो पुनः बरकरार कर दिये जायेंगे।
(४) प्रत्येक प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीके महासचिवको प्रति माह सदस्यताका ब्यौरा और इस धाराके अन्तर्गत प्राप्त होनेवाले सूतका हिसाब भेजेगी। प्रान्तीय कांग्रेस कमेटियाँ चन्देके सुतका दस प्रतिशत या उतने सूतकी कीमत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को भेजेंगी।
(५) वर्तमान अनुच्छेद ६ (ग)[१] और धारा ९ (ख)[२] को निकाल दिया जाये।
प्रस्तावकर्त्ता:
देशबन्धु चित्तरंजन दास (अंग्रेजी में)
अनुमोदनकर्त्ता:
श्रीयुत एस० वी० कौजलगी (कन्नड़ और अंग्रेजी, दोनोंमें)
श्रीयुत न० चि० केलकर (मराठीमें)
श्रीयुत एम० वी० अभ्यंकर (अंग्रेजीमें)
पण्डित मोतीलाल नेहरू(अंग्रेजी में)
विरोधकर्ता:
मौलाना हसरत मोहानी(उर्दूमें)
मौलाना आजाद सोबानी(उर्दूमें)
स्वामी गोविन्दानन्द (अंग्रेजीमें)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके ३९ वें अधिवेशनकी रिपोर्ट।