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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसमें हेतु कुछ भी हो, मैं इस पूरे प्रकरणको लज्जाजनक माने बिना नहीं रह सकता। हाँ, कताईको मैं जरूर चाहता हूँ, परन्तु उसे पापका परवाना नहीं बनने देना चाहता। मैं जरूर चाहता हूँ कि हर शख्स सत्याग्रह धर्मको स्वीकार करे। परन्तु एक ऐसे शख्सको, जिसका कि धंधा ही खून करनेका रहा हो और जिसपर उसे पश्चात्तापतक न हो, प्रतिज्ञापत्रपर हस्ताक्षर करनेसे रोकनेमें अपनी सारी शक्ति लगा दूँगा। मेरी पूरी सहानुभूति इन बहनोंके साथ है। लेकिन बारीसालवालोंने जो तरीके अख्तियार किये हैं उन्हें मैं कदापि स्वीकार नहीं कर सकता। इन बहनोंको वहाँ ऐसा सामाजिक दर्जा मिल गया है जो कि समाजके नैतिक कल्याणकी दृष्टिसे उन्हें हरगिज न मिलना चाहिए। जिस प्रयोजनको लेकर इन बह्नोंने अपनी संस्था बनाई है, क्या उसे लेकर हम जाने-माने चोरोंका एक संघ बनायेंगे? और ये बहनें तो चोरोंसे भी ज्यादा खतरनाक हैं। इसलिए उनकी ऐसी संस्थाकी स्थापनाका आधार और भी अधिक कमजोर है। चोर तो रुपया पैसा ही चुराते हैं, पर ये तो मनुष्यके सद्गुणोंको चुराती हैं। हाँ, यह बात सच है कि समाजमें इन अभागिनी स्त्रियोंके अस्तित्वके लिए पुरुष ही बुनियादी तौरपर जिम्मेदार हैं। परन्तु हमें यह बात हरगिज न भुला देनी चाहिए कि इन्होंने समाजमें बुराई फैलानेकी महाभयंकर शक्ति प्राप्त कर ली है। बारीसालमें मुझे मालूम हुआ कि वहाँ इन स्त्रियोंके सामाजिक कार्यके फलस्वरूप ये इतनी आगे बढ़ गई हैं कि जिसका असर बहुत बुरा पड़ रहा है। और फलतः बारीसालके युवकोंका सदाचार भी उनके प्रभावसे नहीं बचा है। अच्छा होता यदि यह संस्था तोड़ दी जाती। मेरा दृढ़ मत है कि जबतक वे इस शर्मनाक जिन्दगीको अख्तियार किये हुए हैं, तबतक उनसे किसी किस्मका चंदा या सेवा लेना या उन्हें कांग्रेसका प्रतिनिधि चुनना और सभासद बननेके लिए प्रोत्साहित करना बेजा है। कांग्रेसका कोई नियम ऐसा नहीं है जिसके अनुसार वे कांग्रेसमें आनेसे रोकी जायें, परन्तु मुझे यह आशा थी कि लोकमत ही उन्हें कांग्रेससे दूर रखेंगा और खुद उनमें भी इतना संकोच तो जरूर होगा कि वे अपनेको स्वयं ही दूर रखेंगी।

मैं चाहता हूँ कि मेरे ये शब्द उनतक पहुँचें। मैं उनसे आग्रह करूँगा कि वे कांग्रेसके रजिस्टरसे अपने नाम कटवा लें। भूल जायें कि उनकी कोई संस्था है। और शीघ्र ही, निश्चयपूर्वक अपने इस अनीतिपूर्ण व्यापारको त्याग दें। वे चरखेको बतौर साधनाके और बुनाई या दूसरे किसी अच्छे रोजगारको अपनी रोजीके तौरपर उसी हालतमें अख्तियार करें, इससे पहले नहीं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २५-६-१९२५