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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


२७ अगस्त : पटनामें होनेवाली अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी आगामी बैठकके सम्बन्धमें समाचारपत्रोंको वक्तव्य जारी किया।

२८ अगस्त : कलकत्ताके ओवरटन हॉलमें "राष्ट्रीयता" पर भाषण।

२९ अगस्त : आशुतोष कॉलेजके विद्यार्थियोंकी सभामें संगठन तथा राष्ट्रीय भावनाके विकासपर जोर दिया। भारतीय ईसाइयोंकी सभामें भाषण :

१ सितम्बर : गांधीजी कलकत्तासे रवाना हुए।

३ सितम्बर : बम्बई पहुँचे। 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे हुई अपनी भेंटमें बंगाल यात्राके अनुभव बताये।

४ सितम्बर : दादाभाई नौरोजीकी शताब्दीके उपलक्ष्य में आयोजित सार्वजनिक सभा की अध्यक्षता की।

६ सितम्बर : अहमदाबादके मजदूर संघके सदस्योंसे अपना कार्य विनम्रतासे, सच्चाईसे और ईमानदारीसे करनेका आग्रह किया।

१२ सितम्बर : पुरुलिया (पश्चिमी बंगाल) पहुँचे। सार्वजनिक सभामें मानपत्र भेंट किये गये। चित्तरंजन दासके चित्रका अनावरण किया। १६ वें बिहार प्रान्तीय राजनैतिक सम्मेलनमें सम्मिलित हुए।

१३ सितम्बर : महिलाओंकी सभामें भाषण। अन्त्यजोंकी सभामें भाषण देते हुए मद्यपान और जुआ आदि दुर्व्यसनोंको छोड़नेकी अपील की।

१५ सितम्बर : चक्रधरपुरकी राष्ट्रीयशालामें भाषण।

१६ सितम्बर : मोटरसे राँची पहँचे। नगरपालिका और अन्त्यजोंने मान पत्र भेंट किये। महिलाओंकी सभामें भाषण।

१७ सितम्बर : सार्वजनिक सभामें गांधीजीने कहा कि चरखा ही भारतके करोड़ों लोगोंकी भूख मिटा सकता है।

१८ सितम्बर : हजारीबागकी सार्वजनिक सभामें भाषण। सेंट कोलम्बस कॉलेजके विद्यार्थियोंकी सभामें भाषण।

२० सितम्बर : पटनाकी सभामें भाषण।

२२ सितम्बर : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी बैठककी अध्यक्षता की। अखिल भारतीय चरखा संघकी स्थापनाका प्रस्ताव पास हुआ। पटना जिला खिलाफत सम्मेलनकी बैठकमें गांधीजीने हिन्दू-मुस्लिम एकतापर भाषण दिया और लोगोंसे चरखा और खद्दर अपनानेका अनुरोध किया।

२४ सितम्बर : अखिल भारतीय चरखा संघके संविधानको अन्तिम रूप दिया गया। पटनाकी सार्वजनिक सभामें चरखे और खद्दरकी आवश्यकतापर बल दिया। खगौलकी राष्ट्रीयशालाकी नई इमारतका शिलान्यास किया। महिलाओंकी सभामें भाषण।

२५ सितम्बर : समाचारपत्रोंको दिये अपने वक्तव्यमें बिहारका दौरा पूरा न करनेकी अपनी असमर्थतापर दुःख प्रकट किया।