पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/४८९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४६३
सांकेतिका : "दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास" की

४८-४९; -का स्मट्सके साथ समझौता,
२४२-४७; -का हिन्दुस्तानमें निवास,
४०-४३; - की कूचके दौरान गिरफ्तारी,
२२६, २२७, २२९; -की ट्रान्सवाल
सीमापर कई बार गिरफ्तारी, पर
तुरन्त रिहाई, २१२; -की व्यूह-
रचना सत्याग्रह आन्दोलनके अन्तिम
चरणमें, २१०; -के विचार ब्रह्मचर्य
और दरिद्रताके सम्बन्धमें, ७६-७७;
-के साथ कस्तूरबा द्वारा जेल जानेकी
पेशकश, २१०-११; -को जेलकी सजा,
२३१; -को ट्रान्सवालमें सर्वोच्च
न्यायालयकी सनद प्राप्त, ६६; -को
दो महीनेकी सादी कैद, ११४; -दक्षिण
आफ्रिका रवाना, ३४; द्वारा आहार
सम्बन्धी प्रयोग, १९२-९३; - द्वारा प्राकृ-
तिक चिकित्सा सम्बन्धी प्रयोग, १९२-
९४; -नेटाल सुप्रीम कोर्टमें दाखिल
३७-३८; -पर प्रहार, ३५-३६,
४७; -पर मीर आलम तथा औरों
द्वारा हमला, १२८-३०; - से दक्षिण
आफ्रिकामें रुकने के लिए अनुरोध,
३६-३७
गांधी, रामदास मोहनदास, २११
गांधी, सन्तोक मगनलाल, २११
गांधी, हरिलाल, १६५
गॉडफे, जार्ज, ६६
गामा, वास्को डि, ८
गिरमिटिया कानून, २
गिरमिटिया भारतीय (करारबद्ध भारतीय)
-अर्धदासताकी स्थितिमें, २०-२१;
गाय, दक्षिण आफ्रिकामें, ९
गिब्सन, जे० सी०
-और ३ पौंडी करके विरुद्ध सत्याग्रह,
२०६-७; -शुश्रूषा टुकड़ीमें शामिल,
५९; - ( े ) का जो उत्तरी और


दक्षिणी तटोंपर रहते थे सम्मिलत}}
आन्दोलन, २३५; -की ओरसे गांधीजीने
कहा कि ३ पौंडी कर रद होनेपर
वे हड़ताल समाप्त कर देंगे २२३;
- की साग सब्जियोंसे कमाई, २३-२४;
-के अधिक दिन ठहरनेपर यूरोपियोंका
विरोध, २४; -के मीठे-कड़वे संस्मरण,
२२० - २१; -को कुली कहा जाता था,
३३; -को सत्याग्रहसे राहत, २४८;
-द्वारा कूच आरम्भ, २२४; - द्वारा
ट्रान्सवालकी ओर कूच करनेकी तैयारी,
२१७,
२१९, २२३-२४; -द्वारा
न्यू- कैंसिल कोयलेकी खानोंमें हड़ताल,
२१४-१६; -पर गोली वर्षा, २३५;
-पर व्यक्तिकर, २५

गीता, १९५
गुडहोप अन्तरीप, -की खोज, ८ पा० टि०
गोकुलदास हंसराज, २११
गोखले, गोपाल कृष्ण, ३२, ४१, ४२, ६३,
१३६, १६१, १९६-२०६, २०९, २३४-दिया
४१, २४५, २४९; -को ३ पौंडी करके
रद करनेसे सम्बन्धित प्रतिज्ञाके भंग
होने की सूचना, २०६; -टॉल्स्टॉय
फार्मपर, १८७-८८; -द्वारा पोलकको
भारत भेजनेके लिए तार २२८; -द्वारा
सत्याग्रहियोंपर हुए अत्याचारको सूचना
देशको देना, २३४-३५
गोविन्दराजुलू, वी०, २११
ग्रिफिन, सर लेपेल, ९२



घायलोंकी सेवा शुश्रूषाकी टुकड़ी, ७५-७६
घेलानी, मोहनलाल मानजी, १६७
घोरखोदू, पारसी रुस्तमजी जीवनजी, ४६-
५०, १४२, १६५, १६६, १७०, २११,
२३५, २५०