कॉर्नवाल तथा यॉर्कके ड्यूक और डचेसके नेटाल आनेपर डर्बनके भारतीयोंने उन्हें निम्नलिखित अभिनन्दन-पत्र भेंट किया था । अभिनन्दन-पत्र एक चोंदीकी ढालपर खुदा था, जिसपर ताजमहल, बम्बईकी कारला गुफाओं, बुद्ध गया मन्दिर तथा नेटालके गन्नोंके खेतोंमें काम करते हुए. गिरमिटिया भारतीयोंके चित्र अंकित थे।
महाविभवकी सेवामें निवेदन है :
इस उपनिवेशके निवासी ब्रिटिश भारतीयोंकी ओरसे हम, नीचे हस्ताक्षर करनेवाले, इस सागरतीरपर आप महाविभवोंका नम्रतापूर्वक अभिनन्दन करते हैं। अपनी इस यात्रामें आप जिन देशोंमें गये उनमें नेटाल एक ऐसा देश है जहाँ ब्रिटिश भारतीय बड़ी संख्यामें रहते हैं। और, यह देखते हुए कि भारतको महाविभवोंकी यात्राका सम्मान प्राप्त करनेवाले देशों में शामिल नहीं किया गया, आप महाविभवोंको श्रद्धांजलि भेंट करना हमारा दोहरा कर्तव्य हो जाता है। इससे व्यक्त होता है कि महामहिम सम्राट् अपनी प्रजाओंका बहुत मान करते हैं, क्योंकि ऐसे अवसरपर जब कि हमारी प्रिय कैसरे-हिन्दके हमारे बीचसे उठ जाने के कारण राज-परि- वारके साथ करोड़ों प्रजाजन महान् शोक-सागरमें डूबे हुए हैं, उन्होंने आप महाविभवोंको न केवल आस्ट्रेलिया बल्कि महान् साम्राज्यके अन्य भागोंकी भी यात्रा करनेका आदेश दिया है। हम सम्मानपूर्वक कहनेका साहस करते हैं कि इस यात्राने उस पवित्र सूत्रको जिससे ब्रिटिश राज्यके विभिन्न भाग एक साथ बंधे हैं और भी कस दिया है।
हम उदार ब्रिटिश शासनके लाभको पूर्ण रूपसे समझते हैं। भारतसे बाहर पांव रखनेकी जगह हमें इसीलिए मिली है कि हम सर्वसंग्रही यूनियन जैकके अंकमें हैं।
हम आपसे नम्रतापूर्वक प्रार्थना करते हैं कि आप महामहिम सम्राट्को- हमारे महाराजको -हमारे राजभक्तिपूर्ण अनुरागका विश्वास दिलायें। हमारी हार्दिक कामना है कि आप दक्षिण आफ्रिकाके इस उपवनमें आनन्दके साथ समय बितायें और हम सर्वशक्तिमानसे प्रार्थना करते हैं कि वह यात्राकी समाप्तिपर आपको सकुशल घर पहुँचा दे और आपपर उत्तमोत्तम सुख-समृद्धिकी वर्षा करे।
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[अंग्रेजीसे ]
नेटाल ऐडवर्टाइज़र १७-८-१९०१
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