३२८. बॉक्सबर्गकी पृथक् बस्ती बॉक्सबर्ग के स्वास्थ्य निकायकी बैठककी कार्यवाहीसे प्रकट होगा कि वर्तमान भारतीय बस्तीको वहाँसे हटानेके बारेमें उसके सभ्य गण अब भी क्रियाशील हैं। मालूम होता है, उसके अध्यक्ष कॅप्टन कॉली, जो हालमें ही यूरोपसे लौटे हैं, निकायके इस कठोर प्रस्तावसे सहमत नहीं हैं । परन्तु वे अकेले-हाथों न्यायकी रक्षा कहाँतक कर सकेंगे, यह एक प्रश्न ही है । इसलिए वर्त- मान बस्तीका कायम रहना तो मुख्यतः सरकारी कार्रवाईपर ही निर्भर करता है। न्याय तो सर्वथा बस्तीके निवासियोंके पक्षमें ही है और इसमें सरकारका रुख भी युक्तियुक्त ही रहा है; अतः हम आशा करते हैं कि स्वास्थ्य निकायके प्रभावमें आकर वह अपने रुखको छोड़ नहीं देगी। फिर भी हम निकायके सदस्योंकी न्यायवृत्तिको क्यों न प्रेरित करें ? हमने उन्हें एक ऐसा हल सुझाया है जो ब्रिटिश जनोचित है । वे कहते हैं कि बस्तीका इतना नजदीक होना समाजके आरोग्यके लिए खतरनाक है । हम क्षणभर मान लेते हैं कि उनका यह भय सही है, तो भी इसका उपाय उन्हींके हाथमें है । वह उपाय यह नहीं कि बस्तीको वहाँसे हटा दिया जाये। जैसा कि डॉक्टर जॉन्स्टन कहेंगे, 'बस्तीको दूर हटानेसे तो खतरा उलटे बढ़ जायेगा।' इसलिए सही उपाय तो यह है कि अगर अभी बस्ती अच्छी हालत में नहीं है तो उसे आरोग्यदायक और साफ रखा जाये। अगर बस्तीके निवासी इसमें गुनहगार हैं तो उनपर कानून कठोरता से लागू किया जाये और कुछ लोगोंपर मुकदमे चला दिये जायें। बस्तीको हटानेका दुर्भावपूर्ण आन्दोलन करने और फिर बस्तीके निवासियोंपर से सफाई सम्बन्धी नियन्त्रण हटानेकी अपेक्षा इससे कहीं अधिक लाभ हो सकता है । [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, ३-९-१९०३ ३२९. पत्र : दादाभाई नौरोजीको' पो० ऑ० बॉक्स ६५२८ जोहानिसबर्ग सितम्बर ७, १९०३ सेवामें माननीय दादाभाई नौरोजी वाशिंगटन हाउस, ७२ एनले पार्क लंदन एस० ई० महोदय, आजकी डाकसे भेजे जानेवाले इंडियन ओपिनियन में आप श्री चेम्बरलेनके भाषण का एक उद्धरण पढ़ेंगे । आपको याद होगा कि गत वर्ष नेटाल सरकारकी ओरसे एक आयोग भारत गया था । उसका उद्देश्य लॉर्ड कर्जनको इस बात के लिए सहमत करना था कि शर्तनामेके समाप्त होनेपर २. यह “ एक संवाददाता से प्राप्त" रूपमें कुछ शाब्दिक परिवर्तनों के साथ २-१०-१९०३ के इंडिया में भी प्रकाशित हुआ था । २. ट्रान्सवालके मजदूरोंके प्रश्नपर भाषण लोकसभा में दिया गया था; देखिए इंडियन ओपिनियन, ३-९-१९०३ । Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/५०७
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