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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/१५८

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१३२. पत्र : वी० आर० कोठारीको

आश्रम
साबरमती
१० जुलाई, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र[] मिला। आपकी बात मैं समझता हूँ। मैं इस पत्रके साथ जमनालालजी द्वारा भुगतानके लिए २,५०० रु०का एक चेक भेज रहा हूँ। आप कृपया वह पत्र[] जिसका आपने वचन दिया है मुझे यथासमय भेज दें।

हृदयसे आपका,

संलग्न : १ हुण्डी

श्रीयुत वी० आर० कोठारी
शुक्रवार पेठ

पूना

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १११२९) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. कोठारीने ५ जुलाईको अपने पत्र (एस० एन० १११२८) में समझाया था कि पहलेके ५,००० रुपयेके अनुदानके आधारपर फिर उतनी ही राशि पानेकी आशासे उन्होंने अपना खर्च फैला दिया था जिसे निबटाने में अब कठिनाई हो रही थी। उन्होंने सुझाव दिया था कि केवल २,५०० रु० भेज दिये जायें और बाकी वे स्वयं चन्देके रूपमें इकट्ठा कर लेंगे। उन्होंने इस आश्वासनका पत्र भी भेजनेका प्रस्ताव रखा था कि पूंजीगत व्ययके लिए वे अपने न्यासियोंसे और रकम नहीं माँगेंगे (एस० एन० १११२८ एम)।
  2. कोठारीने हेरॉल्ड एच० मैन, एक न्यासीके निर्देशपर आश्वासनका यह पत्र ६ अगस्तको भेजा था। (एस० एन० १११३२-४ ) ।