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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/३७९

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वह निषेधाज्ञा निकाली गई थी— किसीको दुःख पहुँचानेवाली या भड़कानेवाली कोई बात न थी। निस्सन्देह यह उस नोटिसके निकालनेवाले अफसरोंका कर्त्तव्य था कि वे पहले उस भाषणको पूरा पढ़ लेते और तब १४४ धारा लगानेके हुक्मकी दरख्वास्त करते— विशेषकर उस समय जब कि वह हुक्म पण्डित मालवीयजी और डाक्टर मुंजे-जैसे प्रख्यात नेताओंके विरुद्ध जारी किया जानेवाला था। यदि किसी व्यक्ति विशेषने ऐसी जल्दबाजीसे काम लिया होता जैसी इस मामलेमें बंगाल सरकारने दिखाई है तो उस व्यक्तिपर हरजानेका दावा किया जा सकता था। यदि लोकमत सुसंगठित और मजबूत होता तो जनता ऐसी लापरवाही और जल्दबाजी दिखानेवाली सरकारसे जवाब तलब कर सकती थी।

प्रायः ऐसी शिकायतें सुनी जाती हैं कि सरकार निर्दोष व्यक्तियोंके विरुद्ध ज्यादातर बिना सोचे-समझे जल्दबाजीमें और यहाँतक कि वैरभावसे उन कानूनोंके अन्तर्गत कार्रवाई करती है, जिनको गढ़नेमें अधिकांशतः सरकारका ही हाथ रहा है —क्या इस मामलेमें की गई कार्रवाईको देखते हुए ऐसी शिकायतोंका सुना जाना आश्चर्यको बात मानी जा सकती है?

हिन्दुस्तानियोंका निष्कासन

दक्षिण आफ्रिकासे प्राप्त एक पत्र कहता है:

नौकरियों में से हिन्दुस्तानियोंके निष्कासन या 'सभ्य मजदूरों' की भर्तीकी नीति सभी सरकारी विभागों में तेजीसे बरती जा रही है। पीटरमैरित्सबर्ग और लेडी स्मिथमें रेलवे विभागके सैंकड़ों हिन्दुस्तानियोंको नोटिस दिये गये हैं कि वे या तो डर्बनकी बदली करा लें या नौकरी छोड़ दें। कुछ लोगोंको तो केवल १३ दिनोंका हो नोटिस मिला है। यह सलूक उन लोगोंके साथ किया जा रहा है जिन्होंने, किसी एक ही स्थानपर रहकर २५ या ३० वर्षांतक नौकरी की है और अपनी जिन्दगीका बड़ा भाग वहीं खपा दिया है। इन गरीब अनपढ़ आदमियोंके लिए दूसरी जगहकी बदलीका अर्थ है बिलकुल नई दुनिया में जाना। मुझे पता लगा है कि इनमें से बहुतसे लोग नौकरी छोड़- छोड़कर फिर हिन्दुस्तान जा रहे हैं।

नौकरी न छोड़नी हो तो डर्बन जाओ— यह तो कोई बात न हुई; क्योंकि जो डर्बन जाते हैं उनपर वहाँ भी 'सभ्य मजदूरोंकी भर्तीके समय यही प्रतिबन्ध लागू होना है। इन नोटिसोंसे तो कुछ दुःख नहीं होता; दुःखकी बात तो यह है कि जब दक्षिण आफ्रिकामें एशियाइयोंकी स्थितिपर विचार करनेके लिए एक सम्मेलनमें विचार होने जा रहा है तब एशियाइयोंको निकाल बाहर करनेकी नीतिपर अशोभनीय उतावलीसे अमल किया जा रहा है। किन्तु अभी हम रुके रहें, आनेवाले दक्षिण आफ्रिकी शिष्टमण्डलके लिए वातावरण तैयार करें और यह आशा रखें कि कुछ अच्छा ही फल होगा।