७७. पत्र: ब्रजकृष्ण चाँदीवालाको
धूलिया
सोमवार [१४ फरवरी १९२७][१]
जमशेदपुरकी नौकरीके बारेमें मैं तुमारे उत्तरकी राह देखता हुं। अब चित्त शांत है?
बापूके आशीर्वाद
मूल (जी॰ एन॰ २३५५) की फोटो-नकलसे।
७८. पत्र: मगनलाल गांधीको
मौनवार [१४ फरवरी, १९२७][२]
मणिलालके विवाहकी बात तो तुम्हें मालूम हो ही गई होगी, अगर मणिलालने तुम्हें [मेरे] पत्र न दिखाये हों तो छगनलालके पत्रसे सब जान लेना; और दूसरोंको बता भी देना। मुझे मालूम नहीं कि नानाभाई पण्डितजीसे विधि सम्पन्न करायेंगे या किसी दूसरेसे। यह बात मैंने उन्हींपर छोड़ दी है। पण्डितजीसे कहना कि शायद उन्हें आना पड़े, इसलिए वे तैयार रहें। विवाह अकोलामें होगा।
इसके साथ मीराबनके अन्य दो पत्र भेज रहा हूँ। परसरामके बारेमें लिखनेके लिए मैंने महादेवसे कहा तो है।
बीजापुरका हाल लिखना। जॉनसे कहना कि वह मुझे पत्र लिखे।
बापूके आशीर्वाद
गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ७७६४) से।
सौजन्य: राधाबहन चौधरी