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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/३४

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३. लॉर्ड सेल्बोर्न' और स्वशासन

श्री ब्रॉड्रिकके वक्तव्यके' बारेमें हम जो कुछ कह चुके हैं, उसे देखते हुए ऑरेंज रिवर कालोनीमें लॉर्ड सेल्बोर्न द्वारा एक शिष्टमण्डलको, जो पिछले हफ्ते उनसे मिला था, दिये गये जवाबकी मीमांसा करना दिलचस्पीकी बात होगी। शिष्टमण्डल उनसे उक्त उपनिवेशको स्वशासन देने की प्रार्थना करने के लिए गया था। परमश्रेष्ठने परिभाषा करते हुए कहा :

ब्रिटिश साम्राज्यमें उत्तरदायी शासनका अर्थ शुद्ध स्थानीय मामलों में पूर्ण स्वतन्त्रता होता है। जबतक यह स्वतन्त्रता ब्रिटिश साम्राज्यके आम मेलजोलमें दखल नहीं देती अथवा उन सिद्धान्तोंको जिनपर उसकी नींव है,अथवा साम्राज्यको किन्हीं अन्य भावनाओंको जो उसे एक-साथ बाँधती हैं, भंग नहीं करती, तबतक उसका अर्थ पूर्ण स्थानीय स्वराज्य है।

यह परिभाषा सम्राटके एक विशिष्ट प्रतिनिधिके योग्य है और यह साम्राज्यके उपनिवेश-मन्त्रियोंके द्वारा बार-बार की गई घोषणाओंसे मेल खाती है। तब प्रश्न उठता है कि क्या ब्रिटिश भारतीयों- पर ट्रान्सवालमें जो निर्योग्यताएँ लादी गई है, वे साम्राज्यके आम मेलजोलमें दखल नहीं देतीं, अथवा उन साम्राज्यीय भावनाओंको जो उसे एकताके सूत्रमें बाँधती हैं, भंग नहीं करतीं ? प्रश्नका उत्तर स्पष्ट है। हम आशा करते हैं कि जब परमश्रेष्ठके सामने भारतीय प्रश्नोंपर विचार करनेका अवसर आये, तब वे अपने द्वारा दी गई इस परिभाषाको लागू करेंगे और आजकी विसंगतिको दूर करेंगे।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १-७-१९०५

४. सरकारी नौकरियोंमें भेद-भाव

लॉर्ड कर्जनने बहुत बार कहा है कि वे नौकरियां देने में गोरों और कालोके बीच कोई भेद नहीं करते। उन्होंने एक बार बड़े आवेशसे कहा था कि नौकरियां पाने के सम्बन्धमें ऐसी कोई बात नहीं जिसके बारेमें भारतीय शिकायत कर सके। और यह साबित करने के लिए कि भारतीयोंको बहुत-सी नौकरियाँ दी जा रही हैं, उन्होंने एक व्योरा भी प्रकाशित कराया था। किन्तु वह ब्योरा बनावटी था, क्योंकि उसमें ७५ रुपये वेतन पानेवाले अनेक भारतीय शामिल कर लिये गये थे। माननीय गोपालकृष्ण गोखलेने भी उनके इस झूठे दावेका भंडाफोड कर दिया है।

[] दक्षिण आफ्रिका उच्चायुक्त तथा ट्रेन्सवाल और ओरेंज रिवर उपनिवेशके गवर्नर, १९०५-२० । []देखिए पिछला शीर्षक। []भारतके वाइसराय और गवर्नर-जनरल, १८९९-१९०५ । [] गोपालकृष्ण गोखले (१८६६-१९१५) भारतके एक प्रतिष्ठित नेता और राजनीतिश । १९०५ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके बनारस अधिवेशनके अध्यक्ष । देखिए खण्ड २, पृष्ठ ४१७ । []शाही विधान परिषदमें दिये अपने एक बजट सम्बन्धी भाषणमें।

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