जोहानिसबर्गके ब्रिटिश भारतीयोंने १ पौंड देकर नौकारोहण पास लिये और बादमें उन्हें इरादा बदलकर अपनी भारत यात्रा अनिश्चित कालके लिए स्थगित कर देनी पड़ी। इस तरह जिस नौकारोहण पासके लिए उन्होंने एक पौंड शुल्क दिया था, उसका कोई उपयोग न करनेपर भी उन्हें उसके शुल्कसे हाथ धोना पड़ा; और जब वे भारत जाना चाहेंगे उस समय उन्हें फिर नौकारोहण पास जारी कराना पड़ेगा और उसके लिए फिरसे शुल्क देना पड़ेगा। अतः ऐसे शुल्कका अर्थ यही लगाया जा सकता है कि ब्रिटिश भारतीयोंपर अप्रत्यक्ष रूपसे कर लगाने का प्रयत्न किया जा रहा है।
इंडियन ओपिनियन, १६-६-१९०६
३७९. वफादारीका प्रतिज्ञापत्र
हम, नीचे हस्ताक्षर करनेवाले, गम्भीरता और ईमानदारीके साथ घोषणा करते हैं कि हम महामहिम सम्राट एडवर्ड सप्तम, उनके उत्तराधिकारियों और वारिसोंके प्रति वफादार रहेंगे और सच्ची निष्ठा रखेंगे तथा नेटाल उपनिवेशके सक्रिय नागरिक सेनाकी अतिरिक्त सूचीमें डोलीवाहककी हैसियतसे वफादारीके साथ तबतक सेवा करेंगे जबतक कि हम कानूनन उसकी सदस्यतासे पृथक् न हो जायें। हमारी सेवाकी शर्तें ये होंगी कि हममें से प्रत्येकको भोजन, वर्दी, सामग्री तथा १ शिलिंग ६ पेंस प्रतिदिन मिलेगा।
मो° क° गांधी, यू° एम° शेलत, एच° आई°
जोशी, एस° बी° मेढ़, खान मुहम्मद, मुहम्मद
शेख, दादा मियाँ, पूती नायकन, अप्पासामी,
कुंजी, शेख मदार, मुहम्मद, अलवार, मुत्तुसामी,
कुप्पुसामी, अजोध्यासिंह, किस्तमा, अली, भाई-
लाल, जमालुद्दीन।[१]
इंडियन ओपिनियन, १६-६-१९०६
- ↑ देखिए "भारतीय डोलीवाहक दल", पृष्ठ ३७८।