राज्यके प्रत्येक भागमें शोक उत्पन्न करेगा। श्री सीडनके देहान्तके इस शोकमय अवसरपर महामहिम एडवर्डने प्रजाके नाम शोक-सन्देश भेजा है। नेटाल सरकारने भी शोक-सन्देश भेजा है। इससे मालूम होता है कि वे कितने विख्यात थे।
इंडियन ओपिनियन, १६-६-१९०६
३८२. पत्र : टुकड़ी नायकको
डर्बन
जून १८, १९०६
पॉइंट
[डर्बन]
हलका नं० ४ के नेता कप्तान ड्रेने[१] दलके उन सदस्योंको, जो स्वयं वदियोंका प्रबन्ध करनेमें समर्थ नहीं हैं, वर्दियाँ देनेके निमित्त उपर्युक्त हलके में रहनेवाले भारतीय व्यापारियोंसे चन्दा उगाहनेके प्रयत्न किये हैं। फलतः हम बड़े हर्ष के साथ आपको सूचित करना चाहते हैं, कप्तान ड्रेने जितनी रकमका अनुमान बाँधा था उससे अधिक अब हम इकट्ठी कर चुके हैं। साथमें जो सूची नत्थी है उसका अवलोकन करनेपर आपको यह बात प्रकट हो जायेगी। आवश्यकता थी ७० पौंड १५ शिलिंगकी, और चन्देमें आये हैं ८६ पौंड ७ शिलिंग।
हम ५० पौंडकी नकद रकम उपर्युक्त प्रयोजनके लिए इस पत्रके साथ आपके हवाले करते हैं। अगर आपको अधिककी आवश्यकता पड़ेगी तो हम बची हुई रकम आपके पास भेज देंगे।
यदि आप चन्दा देनेवालोंकी जानकारीके लिए उन व्यक्तियोंके नाम, जिन्हें वर्दियाँ दी जायें, हमें लिख भेजने की कृपा करेंगे तो हम आपके आभारी होंगे।
विद्रोह पूरी तौरपर विफल हो ही चुका है। यदि इस लिहाजसे अब इस रकमकी जरूरत न रह गई हो तो, हम मानते हैं, यह हमें लौटा दी जायेगी।
हम यह भी कहना चाहेंगे कि अगर वर्दियाँ खरीदी जायें तो वे हलका नं० ४ की मिल्कियत रहें।
अन्तमें हम कप्तान ड्रेको धन्यवाद देना चाहते हैं। उन्होंने हमें इस बातका अवसर दिया है। कि हम उन नागरिकोंके कार्यकी सराहना — छोटे ही रूपमें सही — व्यक्त कर सकें, जो हलका नं०४ में रहनेवाले अपने सहनागरिकोंके जान-मालकी हिफाजत करनेके लिए आगे बढ़े हैं।
आपके विश्वस्त,
एस° पी° मुहम्मद व कम्पनी
- ↑ इन्होंने २ जूनको कांग्रेस भवनमें अपने हल्केके भारतीय निवासियोंकी एक सभामें व्याख्यान दिया था। समाजके अन्य नेताओंके अतिरिक्त गांधीजी भी उसमें बोले थे। उसमें यह निश्चय किया गया था कि वर्दियों के लिए ७० पौंड चन्देसे एकत्रित किये जायें और १६व्यक्ति आहत सहायक कार्यके लिए दिये जायें।