५१. पत्र: तैयब हाजी खान मुहम्मदको
[जोहानिसबर्ग]
अगस्त ८,१९०५
आपके दावेके बारेमें साथकी नकलके मुताबिक जवाब दिया है। मुझे दुःख है । अब लॉर्ड सेल्बोर्नको अधिक लिखनेकी जरूरत है, ऐसा मैं नहीं मानता। मुकदमा विलायतमें लड़ना होगा। या फिर तैयब सेठ आयें तो यहाँ लड़ सकते हैं।
मो० क० गांधी के सलाम
गांधीजीके स्वाक्षरों में गुजरातीसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), संख्या ९००
५२. पत्र: हाजी हबीबको'
[जोहानिसबर्ग]
अगस्त ९,१९०५
करोडियाके बारेमें आपका पत्र मिला। मैंने नोटिस भेज दिया है।
मो० क० गांधी के सलाम
मैं कल रात कामसे प्रिटोरिया गया था। सवेरे ७॥ की गाड़ीसे आनेके कारण मिल नहीं सका, इसके लिए माफी चाहता हूँ। श्री केलनबैकके साथ सन्देशा भेजा है।
गांधीजीके स्वाक्षरोंमें गुजरातीसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), संख्या ९०७
१. यह युद्ध-क्षतिके सम्बन्धमें था।
२. मन्त्री, ट्रान्सवाल भारतीय संघ।
३. हरमान केलेनबैक एक धनी जर्मन वास्तुफार थे। श्री खानने उनमें आध्यात्मिक वृत्ति देखी और उनका परिचय गांधीजीसे करा दिया। वे गांधीजीके मित्र बन गये और उनके साथ सादे जीवनके प्रयोगमें शरीक हो गये। उन्होंने दक्षिण आफ्रिकाके अनाक्रमक प्रतिरोध आन्दोलनमें जेलयात्रा की । देखिए, दक्षिण आफ्रिकामें सत्याग्रह, अध्याय २३, ३३-३५ ।