लेंगे अन्तमें वे सबसे अधिक फायदेमें रहेंगे। मुझे इसमें शक नहीं है कि कारोबार बहुत अधिक करना है, किन्तु इसमें बहुत अधिक विचारशीलताकी आवश्यकता है।
आपका सच्चा,
मो०क० गांधी
पत्र-पुस्तिका (१९०५), संख्या ९१२
५४. पत्र: पर्क्स लिमिटेडको
[जोहानिसबर्ग]
अगस्त ११,१९०५
विषय : जगन्नाथ
इस मुकदमेकी सुनवाई आज सुबह हुई। दो गवाहोंने इस आशयकी गवाही दी कि १पौंड मक्खन माँगा गया था और उसपर जैसी टिकिया श्री लैवीने मुझे दिखाई थी वैसी टिकिया निरीक्षकको दो गई; और जब पैसा दिया जा चुका तब निरीक्षकने टिकिया तोली। टिकिया तोलते समय अभियुक्तने टिकियाके ऊपरकी लिखावटकी ओर इशारा किया। यह कानूनके मुताबिक स्पष्ट ही अपराध था, किन्तु मजिस्ट्रेटने ऐसा माना कि इस मामले में अभियुक्त बिलकुल निर- पराध है और इसलिए उसपर केवल १ पौंड जुर्माना किया गया। मैं वर्तमान परिस्थितियोंमें अधिकसे-अधिक यही कर सकता था। जान पड़ता है कि अदालतमें पिछले हफ्ते एक ऐसा ही मामला आया था। उसमें भी गवाहीसे यही जाहिर हुआ कि जो टिकिया बेची गई थी उसपर लिखावट बहुत अस्पष्ट थी, इसलिए मुझे लगता है कि जबतक ऊपर लगे लेबिलपर चारों तरफकी लिखावट बहुत ज्यादा बड़ी नहीं होगी, तबतक फुटकर विक्रेताओंपर जुर्मानेकी जोखिम रहेगी और वह भी बहुत भारी जुर्मानेकी; क्योंकि वजनमें १ पौंड मक्खन माँगनेपर ग्राहकको उक्त प्रकारकी टिकिया बेचनेपर २० पौंड जुर्माना किया जा सकता है। इसलिए मैं [ सोचता हूँ कि उनपर] लिखावट अधिक अच्छी होनी चाहिए अथवा अपने विक्रेताओंको यह कह दें कि वे इन टिकियोंको बेचते समय हर बार यह कहें कि वजनकी कोई गारंटी नहीं है।
मैं मुकदमेके सम्बन्धमें ३ पौंड ३ शिलिंग आपके नाम डालता हूँ।
आपका विश्वासपात्र,
मो० क० गांधी
पत्र-पुस्तिका (१९०५), संख्या ९२२