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१३५. पत्र: श्री बार्न्दको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर ८, १९०६

प्रिय बार्न्स,

पता नहीं, अब भी आप विक्टोरिया स्ट्रीटमें रहते हैं या नहीं। यदि रहते हों, तो कृपापूर्वक मुझे सूचित करें; मैं आपसे मिलने आ जाऊँगा। मैं यहाँ बहुत थोड़े समयके लिए ही आया हूँ। यदि आपको यह पत्र मिले तो सबसे मेरा अभिवादन कहें।

आपका हृदयसे,

श्री बार्न्स
मारफत श्री ट्राउटबेक ऐंड बाज़
सॉलिसिटर्स
विक्टोरिया स्ट्रीट, एस० डब्ल्यू०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५२०) से।

१३६. पत्र: सर रिचर्ड सॉलोमनको

होटल सेसिल
लन्दन
नवम्बर ८, १९०६

महोदय,

यह अनौपचारिक पत्र आपकी सेवामें हम इस बलपर भेजनेकी धृष्टता कर रहे हैं कि आप रंगदार लोगोंके, यदि इन शब्दोंको इनके व्यापकतम अर्थमें प्रयुक्त किया जाये, सदैव मित्र रहे हैं। लॉर्ड एलगिनका यह खयाल मालूम होता था, जैसा कि आपका भी था, कि हमारे लिए एक जाँच-आयोगकी नियुक्ति होनी चाहिए। हमारा नम्र विचार है कि हमारे दृष्टिकोणसे, आयोगके विचारके बारेमें आपकी सहमतिके दो शब्दोंसे इच्छित फल निकल आयेगा। अध्यादेश यह मानकर बनाया गया कि प्रत्येक भारतीय अपने अनुमतिपत्र अथवा पंजीयनका दुरुपयोग कर सकता है। लॉर्ड एलगिनने जो वक्तव्य दिया है उससे, हमारी विनम्र रायमें, लगता है कि पहले उनको निस्सन्देह बहुत ही गलत जानकारी दी गई है। हमारा खयाल है कि एक निष्पक्ष जाँच आयोगसे कम अन्य किसी उपायसे वर्तमान सन्देह और भ्रम दूर नहीं