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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

विलायत में पढ़नेवाले दक्षिण आफ्रिकी विद्यार्थी

इन विद्यार्थियोंकी ओरसे एक अर्जी[१] स्वयं लॉर्ड एलगिनके पास गई है। उनके देशमें उनकी क्या स्थिति होगी, इस सम्बन्धमें उन्होंने प्रश्न किया है। लेकिन उसमें सबके हकोंका समावेश हो जाता है। यदि लॉर्ड एलगिन यह कहें कि विलायत आये हुए लोगोंके लिए अलग काननू बनाये जायें, तो उससे दूसरोंका अपमान होगा, और यदि यह कहें कि उन्हें हक नहीं मिलना चाहिए, तो उसमें महा अन्याय होगा।

नेटालका सवाल

नेटालके प्रश्नका शिष्टमण्डल से कोई सम्बन्ध नहीं है। लेकिन चूंकि श्री टैथमका विधेयक प्रकाशित हो चुका है और उसके सम्बन्ध में तार आया है, इसलिए श्री गांधीने लॉर्ड एलगिनसे व्यक्तिगत मुलाकातकी माँग[२] की है। उसका निश्चित उत्तर अभीतक उन्हें नहीं मिला है। लिखा है, अगले सप्ताह में देंगे।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ८-१२-१९०६

१४९. पत्र: एस० एम० मंगाको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १०, १९०६

प्रिय श्री मंगा,

आपका पत्र मिला। आपकी गतिविधि मालूम न होनेसे कल मैंने एक पत्र[३] आपको भेजा था। यदि आपके लिए सुविधाजनक हो तो, आगामी शनिवारको श्री अलीको और मुझे आपके साथ भोजन करनेमें प्रसन्नता होगी। कृपया मुझे समय बता दीजिए।

आपने बताया नहीं कि आप कैसे हैं, आपको स्थान कैसा लगा, लोग कैसे हैं और वे आपसे क्या लेते हैं, इत्यादि। उस स्थानके बारेमें हम सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। कृपया मुझे विस्तारके साथ लिखें। छुटपुट खबरें भेजनेका तो आपके पास कोई बहाना नहीं हैं।

आपका हृदयसे,

श्री एस० एम० मंगा
सेंट एडमंड्स
ब्रॉडस्टेयर्स

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५४०) से।

  1. देखिए "प्रार्थनापत्र: लॉर्ड एलगिनको", पृष्ठ ८४-८५।
  2. देखिए "पत्र: लॉर्ड एलगिनके निजी सचिवको", पृष्ठ ७६-७७ और पृष्ठ १०९-१०।
  3. उपलब्ध नहीं है।