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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हैं, जो उन्होंने ८ नवम्बरको उनसे मिलनेवाले शिष्टमण्डलको दिया था। आपकी हिदायतों के मुताबिक श्री अली और मैं एक लिखित वक्तव्य लॉर्ड महोदयकी सेवामें पेश करनेके लिए इसके साथ भेज रहे हैं।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
मो० क० गांधी

[संलग्नपत्र]

डॉ० विलियम गॉडफ्रे और एक अन्य व्यक्तिके "प्रार्थनापत्र" तथा
अन्य मामलोंके सम्बन्ध में ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी
ओरसे प्रतिनिधियों द्वारा दिया गया वक्तव्य

"प्रार्थनापत्र"

१. " प्रार्थनापत्र" पर डॉ० विलियम गॉडफ्रे और श्री एम० पिल्लेके हताक्षर हैं। इन दोनोंसे प्रतिनिधि व्यक्तिगत रूपसे परिचित हैं।

२. प्रार्थी विलियम गॉडफे एडिनबरा विश्वविद्यालय के एक डॉक्टर हैं और जोहानिसबर्ग में डाक्टरी करते हैं।

३. प्रार्थी सी० एम० पिल्ले एक दुभाषिये हैं, जिनकी कोई प्रतिष्ठा नहीं है। वे शराबके नशे में धुत देखे गये हैं और उन्हें आवारागर्द कहा जा सकता है।

४. जहाँतक प्रतिनिधियोंकी स्मृति ठीक काम देती है, "प्रार्थनापत्र" में दिये गये मुद्दे निम्न प्रकार हैं:

(क) प्रतिनिधियोंको भारतीयोंके साधारण समाजने कोई आदेश नहीं दिया है।
(ख) श्री गांधी एक पेशेवर आन्दोलनकारी हैं। उन्होंने अपने इस कामसे पैसा बनाया है।
(ग) श्री गांधीने यूरोपीयों और भारतीयोंके बीच मनमुटाव पैदा कर दिया है। और उनकी पैरोकारीसे समाजको हानि पहुँची है।
(घ) उनपर डर्बनमें यूरोपीय समाजने हमला किया था।
(ङ) वे 'इंडियन ओपिनियन' के मालिक हैं।
(च) श्री अली एक राजनीतिक और धार्मिक संस्थाके अध्यक्ष और संस्थापक हैं, जिसका उद्देश्य सुलतानको मुसलमानों के आध्यात्मिक और राजनीतिक नेताके रूपमें मान्यता देना है।
(छ) अब्दुल गनी नामके एक व्यक्ति ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष हैं।
(ज) प्रार्थी ब्रिटिश भारतीय संघ द्वारा लोगोंके डरा-धमकाये जानेके कारण अपने मुद्दोंका समर्थन नहीं करा सके हैं।

५. जहाँतक मुद्दा (क) का सम्बन्ध है, प्रतिनिधि ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्षका हस्ताक्षर किया हुआ एक पत्र[१] संलग्न कर रहे हैं। प्रतिनिधियोंका चुनाव सर्वसम्मत था।

  1. देखिए "भेंट: 'साउथ आफ्रिका' को", पृष्ठ १८२ और खण्ड ५, पृष्ठ ४७१ भी।