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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

स्वर्गीय श्री एस्कम्बने उनकी प्रार्थना मानकर नेटाल भारतीय आहत सहायक दलके नेताओंको आशीर्वाद दिया और स्वेच्छासे उनको चाय पार्टी दी और उस अवसरपर एक बहुत प्रशंसात्मक और देशभक्तिपूर्ण भाषण दिया।[१] भीड़के हमलेकी घटनाके बाद वे सन् १९०१ में भारत लौटने के समय तक डर्बनमें रहे।

९. मुद्दा (ङ) के सम्बन्ध में यह सत्य है कि श्री गांधी 'इंडियन ओपिनियन' के वास्तविक स्वामी हैं। लेकिन उससे कोई मुनाफा नहीं कमाया जाता और उसमें श्री गांधीने अपनी सारी बचत लगा दी है। उस काम में उनके दो अँग्रेज साथी हैं, जिन्होंने—और कई भारतीयोंने भी—पत्रके लिए स्वेच्छापूर्वक कंगाली अंगीकार कर ली है। अखबार टॉलस्टॉय और रस्किन के तरीकोंपर चलाया जा रहा है। उसका सार्वजनिक रूपसे घोषित व्रत दोनों समाजों में मेल कराना और भारतीय समाजको शिक्षित करनेके लिए साधन-रूप बनना है।

१०. मुद्दा (च)[२] के सम्बन्धमें, जिन शब्दों में श्री अब्दुल गनीका उल्लेख किया गया है, वे अत्यन्त अपमानास्पद और अज्ञान-जनित हैं। वे दक्षिण आफ्रिकामें भारतीय व्यापारियोंकी एक अत्यन्त समृद्ध पेढ़ीके व्यवस्थापक साझेदार हैं। जबसे वह संस्था बनी है, तभीसे श्री अब्दुल गनी उसके निर्विरोध अध्यक्ष हैं। वे २५ वर्षसे ट्रान्सवालके अधिवासी हैं और प्रायः ब्रिटिश अधिकारियों से, जिनमें उच्चायुक्त भी हैं, उनका सम्पर्क रहा है। वे बहुत ही जाने-माने व्यक्ति हैं और प्रतिष्ठित यूरोपीय व्यापारी उनका आदर करते हैं।

११. मुद्दा (छ)[३] के सम्बन्धमें, दक्षिण आफ्रिकामें श्री अलीका सारा जीवन, अर्थात् तेईस वर्षका काल, साम्राज्यकी सेवामें लगा है। उनको सर रिचर्ड सॉलोमन, स्वर्गीय लॉर्ड लॉक, स्वर्गीय लॉर्ड रोजमीड, डॉ॰ जेमिसन, सर गॉर्डन स्प्रिंग, सर जेम्स सीवराइट और ट्रान्सवाल-के वर्तमान अधिकारियोंसे व्यक्तिगत सम्पर्क में आनेका सम्मान प्राप्त था। जब कब्रिस्तानकी जगहके मामले को लेकर मलायी लोगोंके बीच असंतोष फैला तब केप सरकारने उसे शान्त करनेके लिए उनसे आग्रह किया था। उसे शान्त करनेमें वे सफल हुए, जिसके लिए सरकारने उनको धन्यवाद दिया था। यह १८८५ की बात है। केपमें स्वयं मतदाता होनेके कारण उन्हें बॉडदलके उम्मीदवारोंके विरुद्ध ब्रिटिश दलके उम्मीदवारके समर्थन में सार्वजनिक मंचसे भाषण देनेका सम्मान अक्सर मिला है। डचेतर गोरोंकी शिकायतोंके सम्बन्धमें स्वर्गीया सम्राज्ञीको भेजी गई अर्जीपर दस्तखत करानेके लिए डचेतर गोरा-समितिने उनकी मुफ्त सेवाएँ ली थीं।

यह बात असत्य है कि हमीदिया इस्लामिया अंजुमनका, जिसके वे संस्थापक और अध्यक्ष हैं, उद्देश्य सुलतानको मुस्लिम जगतके राजनीतिक नेताके रूपमें मान्यता देना है। यह मुख्यतः गरीब मुसलमानों को दफन करने का खर्च देने, मुसलमानोंमें सामाजिक पुनरुत्थानका काम करने और उनकी विशेष कठिनाइयाँ दूर करनेके लिए बनाया गया है।

सर रिचर्ड सॉलोमनने, जिनसे श्री अली पिछले शुक्रवारको मिले थे, कृपापूर्वक यह स्वीकार कर लिया है कि यदि आवश्यक हो तो साम्राज्यके प्रति श्री अलीकी गहरी वफादारी और निष्ठाके साक्षीके रूपमें लॉर्ड महोदयके सम्मुख उनका नाम लिया जा सकता है।

  1. देखिए खण्ड ३, पृष्ठ १३८।
  2. यह मुद्दा (छ) होना चाहिए। देखिए अनुच्छेद ४ में दिया गया 'प्रार्थनापत्र' का सारांश; पृष्ठ २०८।
  3. इसका सम्बन्ध मुद्दा (च) से है।