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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयों की स्थिति के सम्बन्धमें जो जोरदार सहानुभूति पत्र लिखा था, उसके पीछे उनका बहुत बड़ा हाथ था।

आपका विश्वस्त,

[संलग्न]
सर रोपर लेथब्रिज
१९९, टेम्पल चेम्बर्स
टेम्पल ऐवेन्यू, ई॰ सी॰

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस॰ एन॰ ४६४४) से।
 

२५७. एक परिपत्र[१]

होटल सेसिल
लन्दन, डब्ल्यू॰ सी॰
नवम्बर २६, १९०६

प्रिय महोदय,

आगामी गुरुवारको १०-३० पर होटल सेसिलमें एक जलपानका आयोजन किया गया है, जिसके सम्बन्धमें श्री अली और मैंने आज आपको एक निमन्त्रणपत्र भेजनेकी धृष्टता की है। यह भारतीय समाजकी ओरसे, जिसका प्रतिनिधित्व करने का सम्मान हमें प्राप्त है, आपके मूल्यवान सहयोग और सहानुभूतिके लिए कृतज्ञताका एक छोटा-सा प्रदर्शन मात्र है। मुझे भरोसा है कि आप यह निमन्त्रण स्वीकार कर सकेंगे। मुझे इस बातका भान है कि सूचना बहुत थोड़े समयकी दी गई है, किन्तु अगले शनिवारको प्रतिनिधियोंका दक्षिण आफ्रिका के लिए रवाना हो जाना अत्यन्त आवश्यक है, इसलिए हम अधिक लम्बे समयकी सूचना नहीं दे सकते थे।

आपके सुझाव के लिए इस पत्रके साथ दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समितिके विधानका मसविदा भेज रहा हूँ। समितिमें सम्मिलित होनेकी कृपा तो आप कर ही चुके हैं। खयाल है कि मसविदेसे सम्बन्धित कुछ सुझाव हों तो उनपर विचार करनेके लिए जलपानके बाद एक छोटी-सी बैठक भी की जाये।

चूँकि समितिका संगठन दक्षिण आफ्रिकासे प्राप्त हिदायतोंके मुताबिक किया गया है, इसलिए मण्डलके प्रतिनिधियोंने सर मंचरजीसे उपसिमितिकी अध्यक्षता स्वीकार करनेकी प्रार्थना की है। हमने ऐसा इसलिए किया है कि हम सोचते हैं, लन्दनमें हमारे पक्षके समर्थकोंमें से किसीने दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय प्रश्नका इतना अच्छा अध्ययन नहीं किया है जितना सर मंचरजीने किया है। वे विगत १२ वर्षोंसे उसमें सक्रिय दिलचस्पी ले रहे हैं और उसके विशेषज्ञ हो

  1. यह दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समिति के सदस्योंको भेजा गया था।