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अलीगढ़ कॉलेज में महामहिम अमीर हबीबुल्ला

व्यक्तिको गिरफ्तार करके उसपर मुकदमा चलाया जा सकेगा। गलत या जाली पता देनेवालेका अनुमतिपत्र छीनकर उसपर मुकदमा चलाया जा सकेगा। प्रधान प्रवासी अधिकारी २१ दिनका और उस विभागका मन्त्री तीन महीनेका मीयादी अनुमतिपत्र दे सकेगा।

अनुमतिपत्रपर फोटो

उपनिवेशमें कानूनी तौरसे निवास करनेवाले एशियाईको अनुमतिपत्र मिल सकेगा। उसमें बाहर रहने की अवधि और लौटनेपर उतरनेका बन्दरस्थान आदि बताया जायेगा। इसके लिए १ पौंड शुल्क लिया जायेगा तथा प्रत्येक अनुमतिपत्रपर उसके मालिकका फोटो और दूसरी आवश्यक शिनाख्त तथा जानकारी लिखी जायेगी।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २-३-१९०७
 

३७०. अलीगढ़ कॉलेजमें महामहिम अमीर हबीबुल्ला

जनवरी १६ को महामहिम अमीर अलीगढ़ कॉलेज में गये थे। उस अवसरपर उनका बहुत ही सम्मान किया गया। उस समय उन्होंने अलीगढ़ कालेजके विद्यार्थियोंके समक्ष जो भाषण दिया उसका अनुवाद हम 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से दे रहे हैं।

शिया और सुन्नी

आप लोग युवक हैं। मेरे शब्द सुनिएगा। लोगोंने आपसे कहा होगा कि अमीर तो धर्मान्ध सुन्नी है। परन्तु मैं सुन्नी हूँ, इसलिए क्या मुझे धर्मान्ध होना चाहिए? मैं। प्रश्न पूछता हूँ। आप लोगोंमें जो शिया हैं वे क्या सुन्नीके मुकाबले हिन्दूको विशेष समझेंगे? कभी नहीं। तब क्यों आप यह मानें कि चूंकि मैं सुन्नी हूँ, इसलिए शियाके मुकाबले हिन्दूको अधिक पसन्द करूँगा? कभी नहीं। आपने समाचारपत्रोंमें देखा होगा कि हिन्दुओंकी भावनाको ठेस न पहुँचे, इसलिए बकरीदके दिन मैंने दिल्ली में गायें मारना रोक दिया। यदि मैं हिन्दुओंके प्रति इतनी ममता रखता हूँ तो आप यह समझते हैं कि शियासे कम रखूँगा? आप लोगोंसे मेरा निवेदन है कि आजसे आप यह न मानें कि मैं एक धर्मान्ध सुन्नी हूँ। अफगानिस्तानमें मेरी प्रजामें सुन्नी, शिया, हिन्दू और यहूदी हैं। उन सबको मैंने धर्मकी पूरी स्वतंत्रता दी है। क्या इसे आप धर्मान्धता कहेंगे? किन्तु मुझे इतना तो कहना चाहिए कि मैं शियाओंको तीन खलीफाओंका तिरस्कार करने की अनुमति हरगिज नहीं दे सकता। यदि वे तिरस्कार करें और तब मैं हस्तक्षेप करूँ इसको यदि कोई धर्मान्धता माने तो मैं धर्मान्ध हूँ।

शिक्षा

बहुतेरे लोगोंने अलीगढ़ कॉलेजके खिलाफ कहा है। इसलिए मैं स्वयं देखने आया हूँ कि वास्तविक स्थिति क्या है। भारत सरकारने मुसलमानोंको मुझे मिलनेके लिए इतने बड़े सम्मेलनके रूपमें इकट्ठा होने दिया और मुझे आपके समक्ष बोलनेका अवसर दिया, इसके लिए मैं कृतज्ञ हूँ। आज मैंने अलीगढ़ कॉलेजके विद्यार्थियोंका निरीक्षण किया और धर्मके सम्बन्धमें उनमें पर्याप्त ज्ञान देखा तो मुझे प्रसन्नता हुई। इससे जो लोग कॉलेजके खिलाफ बातें किया करते थे उनके मुँह मैं स्वयं बन्द कर दूँगा।

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