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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हैं कि वे पूरा प्रयत्न करके समितिको बनाये रखनेकी व्यवस्था करें। नेटाल भारतीय कांग्रेसने १२५ पौंड दिये हैं। जो ५० पौंड भेजे जानेवाले हैं उनमें से उसे २५ पौंड देने चाहिए। ट्रान्सवालसे दूसरे १०० पौंड भेजने के सम्बन्धमें जैसा निर्णय किया है उसी प्रकार नेटालसे भी १०० पौंड अलग जाने चाहिए। यह कांग्रेसका कर्तव्य है। इतनी रकम भेजी जानेपर ही समिति पूरी ताकतसे काम कर सकेगी।

फिलहाल केप टाउनसे मदद मिलनेकी सम्भावना कम है, यद्यपि वहाँसे मदद प्राप्त करने के हेतु प्रयत्न जारी हैं। केपके भारतीय बन्धुओंसे हम विनती करते हैं कि यदि वे सामूहिक रूपसे पैसे न भेज सकें तो जिनसे जितनी बने उतनी रकम हमें भेज दें। हम वह रकम समितिके पास भेज देंगे। यदि केपके भारतीय यह मानते हों कि उनकी स्थिति अच्छी है तब भी, चूंकि दूसरे हिस्सोंमें उनके भाइयोंको कष्ट हैं, उन्हें हाथ बँटाना चाहिए।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २३-३-१९०७
 

३९५. नेटाल भारतीय कांग्रेस

नेटाल भारतीय कांग्रेसने सार्वजनिक सभा[१] करके बहुत ही अच्छा काम किया है। रायटरके तारोंसे हमें मालूम हो चुका है कि समितिने उस सार्वजनिक सभाके निर्णयोंके आधारपर तुरन्त काम शुरू कर दिया है और लॉर्ड एलगिनको एक सख्त पत्र लिखा है। इसके लिए हम कांग्रेसके मन्त्रियोंको बधाई देते हैं।

मन्त्री और अध्यक्ष हर समितिके रखवाले माने जाते हैं। उन लोगोंने सार्वजनिक सभामें जितना उत्साह बताया है उतना ही उत्साह उन्हें कांग्रेसकी निधिके बारेमें भी बतलाना चाहिए। इस समय कांग्रेसकी हालत यह है कि उसे अभी बैंकसे उधार रकम लेनी पडी है। उसमें श्री दाउद मुहम्मद और श्री उमर हाजी आमदने अपनी व्यक्तिगत जमानत दी है। उन्होंने यह बहुत ही अच्छा किया। लेकिन उधार रकम लेकर कांग्रेस लम्बे समय तक काम नहीं कर सकती।

परवानेका काम बहुत बड़ा है। उसमें बहुत पैसा खर्च होगा। परवानेका कानून बदलवाने के लिए जबर्दस्त प्रयासकी आवश्यकता है। उसमें पैसे भी चाहिए। अतः परवाना और नगरपालिका-विधेयक सम्बन्धी लड़ाईके लिए कांग्रेसको तुरन्त ही धन इकट्ठा करना चाहिए। इसमें ढील हुई तो हम मानते हैं कि हमें पछताना पड़ेगा।

कांग्रेसने चन्दा करना शुरू किया है, यह हम जानते हैं। स्वदेशाभिमानी भारतीयोंको हमारी सलाह है कि वे अपनी ओरसे जितनी मदद दे सकते हैं, तत्काल दें।

मन्त्री और अध्यक्षसे हमारा कहना है कि रक्षाका सबसे पहला काम यह है कि वे कांग्रेसकी आर्थिक स्थितिको बहुत मजबूत बुनियादपर रख दें। हमें विश्वास है कि यदि वे एक महीना पूरे उत्साहसे काम करेंगे तो कांग्रेसकी स्थिति सुधर जायेगी।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २३-३-१९०७
  1. देखिए "सार्वजनिक सभा", पृष्ठ ३८१-८२।