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१४. पत्र : एल० डब्ल्यू० रिचको

[होटल सेसिल
लन्दन]
अक्तूबर २५, १९०६

सर मंचरजीसे मेरी एक बहुत लम्बी बातचीत हुई, और फिर भी होगी। क्या आप कृपया कल शहर आयेंगे। आपका मुझसे मिलना आवश्यक नहीं है, क्योंकि शायद ९ और ९-३० के बीचके अलावा मैं बाहर रहूँ; किन्तु मैं चाहता हूँ कि आप विक्टोरिया स्ट्रीटमें या कहीं उसके आस-पास कार्यालय के लिए कमरोंकी खोज करें।[१] मुझे दिखता है, समितिके संचालनमें, विशेषतः दक्षिण आफ्रिका सम्बन्धी कार्यके लिए, मुख्य कठिनाई आर्थिक होगी। सर मंचरजीने पूरे दिलसे काम करनेका वचन दिया है। जान पड़ता है, हमारे प्रश्नके बारेमें वे बहुत गहरी सहानुभूति रखते हैं। मेरे जानेके पहले निश्चयपूर्वक कुछ तय हो सके, इसके लिए अब भी काफी संगठन करना बाकी है। आशा करता हूँ कि श्री कोहन[२] बेहतर हैं। उन्हें जरूर किसी अस्पतालमें भरती करा देना चाहिए। कल, घूमने-फिरनेके पहले या बाद, किसी समय आप उन्हें देख लें।

आपका शुभचिन्तक,

श्री एल० [डब्ल्यू०] रिच
[३] [४१, स्प्रिंग फील्ड रोड
सेंट जॉन्स वुड, एन०]

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४३९७) से।

  1. प्रस्तावित दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिके लिए।
  2. रिचके श्वशुर।
  3. गांधीजीके एक थियोसफिस्ट मित्र और सहायक जो इस समय इंग्लैंडमें वकालत पढ़ रहे थे ।