जैसी कि कचालियाके आर्डर में है। परन्तु इस भाषाको पढ़नेकी योग्यता उनमें से बहुत कम लोगों में है। तुम यह क्यों जानना चाहते हो?
तुम्हारा शुभचिन्तक,
मो॰ क॰ गाँधी
[संलग्न]
[पुनश्च :]
कल्याणदासको पैसा देना। रसीद ले लेना। उसके जो ४५ पौं॰ जमा किये हैं सो ठीक है। पारसलें लानेमें अड़चन नहीं हुई क्योंकि गार्ड पहचानका था। उसकी आलोचना हुई।
भीखुभाईको कुछ समय बनाये रखना। श्री पोलकके तारकी व्यवस्था की होगी।[१]
टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४७४८) से।
४६९. पत्र : छगनलाल गांधीको
[जोहानिसबर्ग]
मई १८, १९०७
प्रिय छगनलाल,
तुम्हारा पत्र मिला। मेरा खयाल है कि बृहस्पतिवारसे मैंने अपने सिरके दर्दको भगा दिया है। परन्तु, यद्यपि मुझे तबीयत बहुत अच्छी लगती है, फिर भी मैं अभी अधिक काम नहीं करना चाहता। मैंने जो इलाज किया वह यह कि मिट्टीकी दो पट्टियाँ सिरपर और दो पेड़पर बाँधी और सुबह ६ के बजाय ७ बजे तक विश्राम किया। असल बात थी, रातको जितना अधिक हो सका उतना आराम।
मुझे खुशी है कि अतिरिक्त प्रतियोंके बढ़ाने के बारेमें तुमने मेरे सुझावके अनुसार काम करना तय कर लिया है। मैं हेमचन्दसे कहूँगा कि वह तुम्हारे पास इस सप्ताह बिकी प्रतियोंकी सूची भेज दे। मैं जानता हूँ कि बहुत-सी अभी बच गई हैं, परन्तु इसकी कोई बात नहीं। तुमने उधर कितनी अतिरिक्त प्रतियाँ बेचीं?
हेमचन्दको स्वदेश जाना होगा। कारण यह है कि मैं उसके अनुमतिपत्रकी अवधि बढ़ाने का प्रार्थनापत्र नहीं देना चाहता, क्योंकि यह नये कानूनके अन्तर्गत होगा; और चूंकि मैंने दूसरोंको ऐसा ही करने की सलाह दी है, अतएव संगति बनाये रखनेके लिए मुझे हेमचन्दकी अवधि नहीं बढ़वानी चाहिए। हेमचन्दका खयाल है कि डेलागोआ-बेसे होकर जानेसे वह कुछ पैसा बचा लेगा और वह स्थान भी देख लेगा। परन्तु साथ ही, यदि ऐसा कोई कारण होगा कि वह डर्बन होकर जाये तो वह वैसा करेगा।
ब्लॉक के बारेमें, मेरा खयाल उसका व्यय संघसे ले लेनेका है। उस दशामें मैं तुमसे कह चुका हूँ कि परिशिष्टांककी प्रतियाँ अलगसे नहीं बेची जानी चाहिए और न तुम्हें उनकी विक्रीका विज्ञापन करना चाहिए, जैसा कि तुम अन्य ऐसे अंकोंके लिए करते हो। यदि हम उन परिशिष्टांकोंको बेचें तो सिर्फ वह रकम संघको दे सकते हैं, जो शायद ही कामकी होगी। 'ऐडवर्टाइज़र' का लेख तो बिलकुल घृणित है।
- ↑ मूलमें ये पंक्तियाँ गांधीजीके स्वाक्षरोंमें गुजरातीमें हैं।