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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/५८६

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५५२ सम्पूर्ण गांधी वाङमय २१९; -का श्री अमीर अलीको पत्र, १२४; की दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंको अनाक्रामक प्रतिरोधपर दृढ़ रहने की सलाह, २६; -की सेवाएँ, ४१०-११; -के विषय में दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिके एक सदस्य, २९३३ -को जीतका श्रेय, १७४; -को सर हेनरी कैम्बेलका उत्तर, २१८ रिच, श्रीमती, ४४१ रिचर्ड, ३, की कहानी, १०० रिपन, लॉर्ड, को १० हजार भारतीयोंके हस्ताक्षरोंसे एक अर्जी, २४९ रिपन कॉलेज, २५४ रीज, जे० डी०, २६ रुकनुद्दीन, १४४ रुस्तमजी, पारसी, १३७, १४४, १७५ का पत्र, १२०- २१; की उदारता, १२०-२१ रूज, २८४-८५, ३२०, ३३४-३६, ३४९ का भाषण, १३३; को श्री ईस मियाँका जोरदार पत्र, २४६६ -से श्री काछलियाकी बातचीत, ३४१ रूडीपूर्ट, ३१६, ३२०, ३५०, ३८८ रूमी जलालुद्दीन, ३४२, ९९ पा० टि०, ३३८ रूस की जेलें, १२९ रूसी लोगों, की दृढ़ता, १२९ रैंड डेली मेल, ७१, पा० टि०, ९०, १५३, १७३, ३४५, ४३१९ १५१, २२०, २६२ २५३, २८८, -की टीका, ८४-८५; -की भारतीयोंको कानून स्वीकार करनेकी सलाह, ८५ के प्रतिनिधिकी गांधीजीसे भेंट, ८३-८४९ को गांधीजीका पत्र, ८६-८७९ को गांधीजी द्वारा संक्षिप्त भेंट, २४३; -को पत्र, ६७-६८, १६३-६४, १८२, २६४-६५, २७६-७७; -को भेंट, ६०; में प्रकाशित भेंटका विवरण, ८२-८३ रोडेशिया, ४१, १११, ११४, १२६ रोडस, १२६ लंका, १६८ ल लंकाशायर डेली पोस्ट, २३९; को श्री रिचका पत्र, २३९-४० लक्ष्मीचन्द, ४१६ लखमीदासजी, रतनजी, ४४१ लछमन, ३५८, ३७०, ३७२, ३७७, ३८२ लछमन, फ्रैंक, ३५७ लजारस, २४७ लतीफ, अब्दुल, ३७१ लतीफ, उस्मान, ४१४ लाखा, फकीर, ४२६ लाखानी, मनजी, ४१५ लाजपतराय, लाला, ६, ३६४; की रिहाई, ३६१; -के भाषणका सारांश, २६३-६४; द्वारा पंजाबके भूमि- कानूनके विरुद्ध युद्ध, ३६३ लालबहादुरसिंह, ३६६-६७ लाला के बयान, २२; पर अनुमतिपत्र सम्बन्धी मुकदमा, १२-१३; -से वकीलके प्रश्न, १३ लाला, बुधिया, ४२६ लाली, सर आर्थर, ५८ लाली स्टेशन, ५६ लिंगम, एस०, १३८ लिंडसे १०२, ४२१; का भाषण, ४३३ लिखतनवर्ग, ३२०, ३५०; में श्री ज्यूटा, २४५ लिटिलटन, २९३; -भारतीयों के कष्टोंपर, १९८३ -द्वारा भारतीयों के हकोंका समर्थन, २४१ लियोनार्ड, जे० डब्ल्यू०, ४६८ लिवरपूल, १ लीडर, देखिए ट्रान्सवाल लीडर लीडेनबर्ग, ४५६ लुईट्रिचार्ट, ३३१, ३४७, ४५६ लूट का मुकदमा, पाँच भारतीयोंपर, २७२ लेडीस्मिथ, १३७, २१२, ४६२, २६७; -का व्यापार संघ, २०११ - के परवाने, २०४९ -के भारतीय व्यापारियोंको गांधीजीकी दूकान बन्द न करनेकी सलाह, ३०८ लेनर्ड, ३४३, ४३०; -पंजीयन कानूनपर, ३३०; का मत अनुमतिपत्रके सम्बन्धर्मे, ५६-५७, की राय भारतीयों के पक्षमें, ४७३; के अनुसार सरकार अपंजीकृत लोगोंको जबरदस्ती निर्वासित करने में असमर्थ, ३३० लेफ्टिनेंट गवर्नर, का किसी भी व्यक्तिको देश छोड़नेके लिए आदेश देनेका अधिकार, ४०४ लेस, डेल, ४४१, ४४२ लैन्सडाउन, लॉर्ड, ६६; की दृष्टिमें कानून अत्यन्त शर्मनाक, ३०६ की रायमें भारतीयोंके सारे समाजका अपमान करना खतरनाक, २८