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पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/१९

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निबन्धकार एवं कवि पूर्णसिंह कर रहा हो । यदि मैं वेदान्ती पूर्ण के एक व्याख्यान के प्रभाव के वर्णन करने की चेष्टा करू, तो लोग मुझे अतिशयोक्ति का दोष देने लगेंगे । अपने सम्बन्ध में तो मैं केवल यही कहूँगा कि मुझे उनके व्याख्यान से यह बात समझ में आ गयी कि किस प्रकार महान् सन्त लोग जनता से कहते हैं-"मेरा अनुसरण करो” और किस प्रकार जनता उनकी आज्ञा को शिरोधार्य करती है। x x x वे कवि थे । परन्तु उन्होंने अपने विचार प्रकट करने के लिए अंग्रेजी भाषा को अपनाया था। उनकी स्टाइल, उनको स्वच्छन्दता, उनका बल और उनकी रहस्यमयी गरिमा श्रीरवीन्द्रनाथ ठाकुर से बहुत कुछ मिलती जुलती थी।" परन्तु मास्टर अमीर चन्द के अभियोग और उनकी फाँसी के बाद अपनी प्राण-रक्षा के लिए सिद्धान्त से गिर जाने के कारण वेदान्ती पूर्णसिंह का व्यक्तित्व, जिस पर स्वामी रामतीर्थ की छाया और उनकी प्रेरणा थी, बहुत कुछ बदल गया । इनकी भावुकता कहीं-कहीं सीमा लाँघ जाती थी, यही कारण था कि ये अपने पचास वर्ष की आयु में जीवन को किसी स्थायी कार्यक्रम में न बाँध सके । इनकी भावुकता के ऐसे-ऐसे उदाहरण हैं, जो तार्कित व्यक्ति को हैरान कर देंगे । जब ये देहरादून में अध्यापक थे, इनके घर पर साधु-संतों की भीड़ लगी रहती थी और प्रायः सभी का अच्छा सत्कार इनके घर पर होता था ! एक बार ये घर पर नहीं थे, इनकी साध्वी स्त्री भी, जो अपने हाथों घर का सारा कामकाज करती थीं, किसी कार्य में व्यग्र थीं, उसी समय एक साधु आये। इनके पिता जी कमरे में बैठे हुए थे, उनकी साधुओं पर अधिक आस्था नहीं थी, शायद उन्होंने कुछ कह दिया और साधु क्रोध में भरकर कुछ कहते हुए उधर से ज्यों ही आगे बढ़े कि आगे से पूर्णसिंह आ रहे थे, पूर्णसिंह ने उन्हें बहुत मनाया , n उन्नीस