पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

क्या २] अनाथ बालिफा। Reप्रतिमा के साथ अपना पार अपनी प्यारी मेटी का पेट पांचवें छठे दिन इसका इतर मा गया | मम + । मेरे "भान को मा जान गंगार"। बस मेरा दिला पा- सदस्य व परि पाप मेरा पा परिचय प्राप्त करना "पज्य मामाजी, प्रणाम । वो पूसरे भिमा को मोमिए । इसमें प्रापको मेरे गेठ मापन और १.०)का भार मिला। मेरे मित्र मिला हुमा एक रजिस्टरसारमामा मिलेगा। सममें पण्डित रामसुम्बर को भाप मानते ही नका एक पास नरनि मेरे पति की सम्पत्ति को अपनी सम्पत्ति से प्रषग, ही भावरपक कार्य है, जिसमें थे मेरी सहापता परसे। द विमत, पतापा।समें मेरे पविदेव का पूरा पता इस कार्य के लिए पापा ममा पड़ेगा। में प्रापको मसामय भा गया है। इसको भाप साधारण काग़र परमे पत्र में ही या कार्य बता देता, जिसके लिए पर समिए । सहारा मेरी एक मात्र कम्पा सरमा- संपारी है, पर उसको गुस रहने के लिए पनि ताद कर जर से सामन्द मो-एक दिन पार रुपये से अधिक दी। मप भाप पदि भाज्ञा तो मैं उनके साप पक्षा पानी सम्मति की भपिपरिणी बम सस्ती है। पर मे मा । आपके उत्तर की मैं मसीवाकर । चाहती कि रसका प्ररोग मिया बाप । मुझे पूर्ण भाशा सेवा-सतीश।" ...कि मेरी सरमा भपने गुणों के कारण ही बहुत बड़ी पत्र को पढ़ कर मा पा पर तक सोचते थे। (सम्पत्ति की अधिकारिणी हेगी। त्रि इन्होंने मीचे शिक्षा मा प्रत्युसर अपने मानले " भाव में मैं पापणे दप से प्राशीबांद देती को मेमा- काम प्रापथ मना करे। क्योकि मापने मेरा और मेरी म्या "मिप सती, in मना किया है।" मेंपड़ी मसाता से तुमको अपने मित्र कार्य में तर सटर रामनार को पत्र पार का प्राधम्र्म मा । सहायता देने की माझा देता। सिए जिस पर । पत र पीप मापा और मरनेवासी सती की रूपये की और सम्मत हो मिस्साशेप मैंगा घेना। पावा प्रतिमा पर विचार करते रहे। सोने दूसरा मित में सोते समय अपने मित्र को भी एक दिन के लिए पर दाविना पो ही अपने पास में बार कर दिया। माना। समको मत दिनों से मैंने नहीं देता। देखने को सपीपत चाती है। प्राय रे मेरी माना स्वीकार करेंगे। एमपी जालय रामपाप ने सतीश पत्र में पर पड़ा किया तपरोपा देस मकान पर न पायेगा तब रामको बड़ी पिता पारमाप " मई । यसका विचार न दिमो इमर पर मने का है और रामा बामे पत्र समास ही किया पाकि सरवाने तरे लिए पार सौ रुपये उसमे मांगे हैं। रामनाप मे चांदी तरतरी में समाये एप पा सबके सामने रखा पांच सौ सपे का मार मीचे चिती चिट्ठीभाप इसके रि राम बापस लाने सम्वे सरमा से इस बार की पाम मेडरिपा- पातें करने लगे। मिप सत्रीय मुकेमा निमम तुम फिर सरोदो और गरमी की बड़ी बुडिया २८-१. दिन होगा। पों मावामी तुमको देखने के लिए ही पर, सतीश ने भो बार ही तीन महीने बाहर ही कारे। "मुझे मरेमाकिम साप सेसी मारो । म सी चिट्टी भाईकिपपास रात को राममुपर ये मेरा। पपा-साम्प पी पीरमा। सहित मना पाचेगा । रसका कमरा साफ किया गया है। रामामुप्पायी या मात्र मी पासपी .मुशी मे भोजन बना रही। राम्लाप"। सत्ता के मन की मात्र प्रमुख शाकमी तोप