पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२०

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33 .UPAL hiva माग १७, सय १ अनपरी १८१६-पीप १९७२ मरल्या १, पूरी संप्या १९३२ .. प्रार्थना हर्षर्ट स्पेन्सर की अज्ञेय-मीमांसा । , पर दम पा को करतार । मातपिता देकर प रते पुत्रों का सहार। पारवासमा र मगार पुष्प करो सहम ।। सर्मन जर परामप पारे हार भयर पार । खि-पम सभी पुर से मागे पान टिम प्रहार । विधवा पीर मनायो मोमयान परिवार। दीन-पाठ ग्रीसीटे मार-कारका तार । कपर- नारले साम्यवहार । यान्ति विराने तुरतन स्त्रि मुना पारापार में मारतंग विजयी है। मोमिमे ग्रास्ति-मुप्त-मार। रोम सभी को पद वा पारम्बार रामरदिन मिम गले पेश के तस्यतापी में दर्द

  • स्पेन्सर पड़े प्रमिद पार, गारप-

शाठी गिने जाते हैं। इस महा- २ नुमाय के दिवारो मे समस्त संसार के प्राचीम पार. प्रचटित विचारों में हलचल शर दी है। भूमण्डल के सभी सम्प देशों में इसके प्रन्यो पर पड़ा प्रादर है। इस महात्मा का जन्म सन् १८२० सपी में दुपा पार मृत्यु १९.३ में । इस रिपे हुए पहुस से प्रग्य ६ । उनमें से मुख्य मुप्य (१) फल मिन्मीफल्म (IFirst Principler) प्रर्यान् पिप्तान के मूलताप ।