पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२५२

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___ * * * इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें * * * बालविष्णुपुराण । बालनिबन्धमाला । १५–विप्पुराण में कितमो ही ऐसी विचिष २० इसमें कई ३५ शिक्षादायक विषयों पर, पौर शिक्षाप्रद कथाये जिनके जानने की हिन्दी बड़ी सुन्दर भाषा में, निबन्ध लिये गये हैं। बालको पास को बड़ो जारत है। इस पुराण में कलियुगी के लिए तो यह पुस्तक रत्तम गुरु का काम देगी। मषिप्य राजापों की घंशावली का बरे विस्तार से जार मंगाए । मूल्य ) वर्गम किया गया है। जो मोग संस्कृत भाषा में बालस्मृतिमाला। विम्पपुराण की कथाओं का प्रामद नहीं टूट सकते. २१-हमने १८ स्मृतियों का सार-संग्रह करा कर ने 'बालथिप्प-पुराण' पदमा बाधिए । इस पुस्तक यह "मासस्मृतिमाला' प्रकाशित की है। प्राशा है, के विप्युपुराण का सार समझिए । मूल्य ।। सनातमधर्म के प्रमी प्रपमे अपने बालको के हाथ में बाल-स्वास्थ्य-रक्षा। यह धर्मशान की पुस्तक देकर समको धमिष्ठ माने का रयोग करेंगे। मूल्य फेयक :) पाठ प्राम। १८-यह पुस्तक प्रत्येक हिन्दी जाननेपाले बालपराण । को पानी चाहिए । प्रत्येक पदस्प कोइसकी पक एक कापी अपने घर में एकमो चाहिए । बालकों को तो २२-पुराण में बहुत सी ऐसी कथायें हैं जिनसे प्रारम्भ से ही इस पुस्तक को पढ़कर स्वास्थ्य-सुधार मनुप्यों को पात कुछ ग्पदेश मिल सकता है। पर के पायो का ज्ञान प्राप्त कर लेना चाहिए। इसमें पुराय इतमे अधिक पार बड़े ६कि उन सबका पढ़ना भतळाया गया किमनुम्प किस प्रकार एफर, किस प्रत्येक मनुष्य के लिए असम्भव नहीं तो महाकाट- प्रकार का भोजन करके,नीरागइसकता है। इसमें साम्य अवश्य है। इसलिए सर्वसाधारण के समीते प्रति दिन के बाष भामेयाळी पामे की चीजों के गुम- केलिए हमने पठारद महापुरायों का सारस्प बाल- पोप मी प्रमळी तरह बताये गये है। कहाँ तक कहें, पुराण' तैयार करा कर प्रकाशित किया है। इसमें पुस्तक मनुष्य-मान के काम की है। इतनी ग्पयोगी प्रठारही पुरायों की संक्षिप्त कथासूची दी गई पार पुस्तक का मूल्य केपलमाठ माना रक्या है। यह भी बताया गया है कि किस पुराण में कितने लोक गौर कित्तमे प्रध्याय प्रादि है। पुस्तक बड़े काम बालगीतावलि । की । इतनी उपयोगी पुस्तक का मूल्य केषस। १९-महामारत में क्या महीं है। उसमें सभी कुछ मालभोजप्रबन्ध । मीद है। महाभारत को रमो का सागर कहना पाहिए, शिक्षा, का भण्डार कदमा चाहिए । भाप २३-राधा मोड का विद्याप्रेम किसी में खानते "चालमितापळि"में क्या है। इसमें महा- नहीं है । संसहत मापा के "भाजप्रया"न - मारत में से ९ गीवायोका संप्रह किया गया। में राजा भोज के संस्मत-षिधाप्रम-सन्मान न गीतामों में ऐसी रम रथम शताकि प्राण्याम लिए है। ये मनमा जिनके अनुसार पौष करने से मनुष्य का परम शिक्षादायक ६। ग्सी माजप्रबम्परा कल्याण हो सकता है। हमें पूरी प्राशा है कि समस 'बाळ-माजप्रक्च" छपकर प्रसारमा ममी हिन्दी-प्रेमी इस पुस्तकको पद र रसम शिक्षा दिन्पोन्म मिर्या का यह पुस्तक वन्दनी माहिए। 1 का सामरगे। मूल्य पाठ माने। मूल्य पटुता कम वसाटमा पुस्तक मिलमे का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग ।