पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२७८

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संख्या मारतीय शासम-प्रथाली। पर कामता पर ये अपनी बगने देते दाग नहीं। पति धारण कर सुमसे पाते पीर वही पावा।। सनी फसरस करने लगे थे। उनकी खाती की माप ५२९च पार राममूर्ति की छाती की ४८ एप है। फैलाने पर राममूर्ति की छाती ५७ पौर भीममयानी की ४८ व हो जाती है। भीममधामी पटुत दिनों . तक प्रोफेसर पममूर्ति के सरकस में थे। भारतीय शासन प्रणाली। धीर नर। प्रान्तिक सरकार । परे विपर पर विपद मि पर पीछे महीं इससे है। • अपना रोमा कमी म रोने साहस मही पाते। बन पाता ताकदीने का समावे निम-पाप से समर-भूमि में परि को पूरी घटाते हैं। पही पीर मर घरा-धाम में पवा-प्रति मित पावे प्रभाचारी की गर्दन को मरो मार देते है। अम्बापी का मुप पप्पा से सदा मोह पे दे । मेरि किस मा परें मम्मे निक नहीं चलने देते हैं, सास विभावाभों पर भी नियमही तोड़ देते हैं। पीर पुस्परपी बोरबा रिस-विदित हो जाते है । . मनुसरी इस मक्-पान में माप-बमार भागते ६ पोहोर-पिबारे में सो भी पास कदापि न पाते। पम में रम मा कता अपनी मान मिमाते है, भान साम राम विलमा करहुम नहीं दिखाते हैं। गमकी परत देव मीह मम भूरि मरे पnि HWCOCOरतवर्ष की प्रान्ती में विमक है। म गवर्नमेंट माफ़ रर्षिया केषल उमका निरीक्षण करती है । गयर्नर छMB जेनरम पार उनकी कार्य-की-समा द्वारासमस्त भारत के लिए जो नियम प्रादि षमाये जाते हैं पार जिम सिवातों पर षिलायत केरामनेता लोग शासन करना चाहते हैं उन्हीं के मनु- सार प्रत्येक प्रान्त में शासन हवाई।महत्व की मितमी बातें प्रत्येक प्रान्त में होती है उमकी पूर्व सूचना गमर्मर जेनरल कर परापर मिलती रहती है। इन प्रात की संभ्या अंगरेजी सस्य के प्रादि में बहुत कम थी। परतु इस समय इमकी संस्था १५है। इनके शासम का मार छारे लाट पर रहता है। मास्तिक लाट तीन प्रकार के हैं-गवर्नर, लेफ्लेमेन्ट गवर्नर गौर चीफ़ फमिमर । गवर्नर का एक कार्य- कारिणी समा (Executive Council) दी गई है। उसके सभासदो की संक्या ४ से अधिक मही हो सकती । गवर्नर पार उमकी कैसल के समासदो को सम्राट् स्वयं ५ घर्ष के लिए नियुफ करते हैं। गपर्नर सदा पिलायत का कोई माम-प्रतिष्ठा-ग्राप्त हा-पाधिधारी वा है, सो अनेक विपयों पर, मिना गयर्मर जेनरल के पूछे, सेक्रेटरी माफ़ स्टेट से पत्र-म्यपदार कर सकता है। लेफ्टनेन्ट गवर्नर सिविल सर्विस का सबसे पुरामा अधिकारी, मिसने १० वर्ष तक सरकार की चार बसे ग्नसे कोई मा नहीं कब से उरते। याको संसार-समर में समय कापी करते हैं। मार मार कर हुस्न को भार भूमि करते हो या मर जगत में कमी नहीं मारते । कीसि मुवी से अपनी से निमन कर पन मातेka भय सदा मित्र प्रणं पर राते पते सत्पप याग नहीं, भत्याची प्रथम मे से ग्मको अनुराग नहीं। मही चारते दमा पदमशन मिमे पर साग मही,