पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

संभ्या ४] कोर्ट प्राथ् पास। • २२५ कहा भनम मे-"पा! ते मेरातिना"। मामे बसर दिया कि-"मैं शीश मितमा ।" कदा म्पोम मे-"भूमि 1 पो मोरे न मरती"- "कितु शूम्प तो नी"--प्पोम से पानी भरती । या मुरन ने-"am गम-स्वर का गाना है।" अपनी देकर पोड रठा कर-"मा काना काइपम मे-"समय सत पर किसका ?" पासबे ने कि-"म पन भागदी जिसका!" भसि नामी- सहाया और समर में " "rt, जो रक्षा करें"- राणी स्तर में" कवितार में कहा-"-सा मेरा?" हा एका -“पार गम्य साह तेरा!" . (पदा कपा) । मंपिलीशरण गुप्त । हपि मा मेष--माता हूँ मैं तुमको, अपना मोबन मूग मानती रामा मुम"। हपि मोशी-फिर मुझे मारतेश पन्चर क्यों ? प्रिय दो, पर हम कमी कमी हो मिरवर पो" , रोहा मन गम्भौर-गिराज भूमय से- -"परता में पाई तुझे *सा मित्र मा से" भूमल ने कहा कि-"इसमें क्या मैप, - मित्रा में भवा तुम्रपा पावन पप है ?" पम्-मामा ने कहा सूप के सम्मुरत थाहर- "तेरा सारा रेती में भार" पोमा रवि मुकि -"पा मी पर सा मे गे तुमे पिनापा मैंने " पोसी का कि- प्रमाबावापाशी , रे कि रेत मेरी निवासी"। या प्रमा में-" ति मेरा क्या कम। रिपा गया अधिकार पाt दोसम है". भस से सदमे का कि-"मैं गौरब तेरा, रस्ता भिमाप दस सामी मो"। "ऐसा गारप नही चाहिए"-पोमासरवर- "इसी लिपबोग माते मुझो पपर"। करावाब मे -"म र तक मैं हीरंगा", याबाप-"परम्तु महापक मैं माहूंगा"। प्रत्यक्षा सा-वो सब मी पपी", र पेला--" मुमं मान मासा दी अपनीn पोवापिस प प में जनता प्रता, -- "कस ऐसादी सह-पिटप परश्या फरया"' गादीप-."मा करिमा पारण, पाये ही मशहा या में मिसरे पाण"। पोमा घुमा-नातिनीतिमीम" हा सार मे-पोतिराती है । " पी शान्तिारिणी " पेली वाया। पाप गमा-'तभी मुझेरी मा . -"पार पारी "- गीती-"सभी पर तमाम कोर्ट धाब् वाई । (४) सास सेम में हमें, पापोर १९१५ फी सरस्वती में प्रकाशित, सम्पादक महाशय की सूचना पर विचार करमा है। भापको सूचनापी का संक्षेप यह- (२) पाई और मैनेजर की एक सभा की स्थापना करना। (३) सण इलाकों का पसेट कोर्ट के मैनेजर से पनवाना। (३) चन्दे से एक पप निकालमा। (४) कोर्ट की मुसाज़िमत का "मापिशल" पर देना। (५) परीस से अधिक पेतन पर पंट्रंस से पस लियाप्त का प्रादमी मरम्मना ।