+11 ____ सरस्वती।. .:. [ भाग १ ~~rmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmiminimummonia- प्रकाशित कर लें। क्योंकि उस समय तो मैं उनसे फैशन-प्रेम के और इस बात का कोई भी साठ परापरी के साय मिलेगा। पहले हो महीने में पक इनके पास न था। हजार रूपये की प्रामदमी पास युरो म रहेगी। मेर, एएम् एम् इन्होंने एक साल पार घर पर मंठे ही पेठे 'गुजार दिया पार दूसरे साल, 'बस ऐसी ही पेसी ऊलजलूल वाने. सोचते फिर पल-पल० पी. के परीसको पो नया। . सोचो हमारे बाप साहय पूरे मनमादक पन गये। पर पिता की बीमारी में इनके यहा साचा 'क्यों न दो ! इनकी चाल-टास ही पेसी थी। हिन्दी पन सर्व दुमा जा रहा था, तो उधर मामी रा - • से तो इतनी नफरत थी मिसकी फुछ हद ही रास्ता बिलकुल बन्द था । और तो लगा कर ना . नदी । भैगरेजी के भी प्रसार माप कमी न पढ़ते पिता (ओ कपहरी मुसरिम पे) ओ कुए धे। इसी से न तो इनमे विरेचन-शक्ति का विकास ये उसकी भी पम प्राशा म थी, पयोंकि कार प्रया दो. सका था पारन विचार-शक्ति की उन्नति। करने पर भी प्रहमी में उमस पीडामा पत्र-पत्रिका से इनका बस इतना ही सम्पन्ध यिटकुल अशक होकर माट पर पड़ गरे । पदमा खा था कि कालेज के पुस्तकालय में जाकर उनमें सेनी पड़ी पार मागे के भीमा पर गये पर . से उधम उरुम चिों को सुपचाप मार कर पाइसाहम एल-एल० थी की माम कक्षा में एम .. माते पे पार अपनी प्रलम्म फी शोमा बढ़ाते थे। प्रह गये जैसे एक मरियल टट्टू समरर इनके सभी काम एक मे धे। काले दो हुए भी ये जाता है पार ग्रागे न पहने के लिए मारे का एसी धुन में रहते थे कि सोग मुझे म गोरा- पोपी दिनों में राचर पिल पुरवे पुग पक्कि सके तो पूरा अंगरज-समझे। इसी पर की पार भी पाल कुछ मीर्य होगा मतल के लिए जो पस्तु पर मे इनके पूर्य- बार साहब को भी यिन्ताई। क्योंकि पर • जन्म के कामों के अनुसार गर्दै महाँ दी थी फेशन में पेतरह पलल पामे गा था। मत उसी माप्ति के लिए-नमके शरीर की स्यथा न किये सायने स्टगे कि किमी मदरसे में मारी माने कितने पियर्स सोप जम कर गई थी पार मिल जाय तो पात प्रयादी। लेकिन मिरे कामे [. करती जा रही थी। भारतीय भाग, भारतीय अपने आप किसी से मांगने या प्राज़ी भगने मग, अधिक पयर, दर एक म्यदेवी यस्सो बात आती रदने कार ए का पार पण की हार में देपतये। अगर इनका यस जरिया नही भिगमे ल कग परे। दिमाग पपता तो ये दम्टर मार मार कर सर को फोट- मोग योग्यता की कदर करमा जानने मी test पतलून पहमने पर पाय करते । यदी तातिगत मस्सा हमारी योग्यता की कदर करने यामा म: का पानी भरने थाना पदार भी एफ पिगड़ा दुपा दुनिया यही पेयकायदा समझयांग . सा मालूम शता। पार, पिया कराने पाले "ही कमी है। अफगास। दे पुरोदितमी भी रोमन कंपरिक पादरियो के इसी तरह यिपार-सागर में गोतं माने मानं मारते ],घर में नया सादर, ममी फही. पार याद. माहय पत्र प्रासर उदाराने लगे। । समी कातों में, पश्चिमीयता का प्रटस सामान्य भी पार दिनी नकmm पर दायरे ! __.. देय परसा । मारलपर्व पदा से प्रमभ्य रहा है, लेकिन यद देख कर एयर फापर नामा - प भीरमी रायपीदमा किमिपा पपने मिमी प्रापही कर मकुछ प्रथम प्रम करमाको यात्रा
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