पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४५६

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संख्या ] . . . . पुस्तक-परिक्षप। . २८५ . ६-ग-महस-रहस्य ।, या एक प्रकार का ऐति- महोप में परिवचित्रण ऐमे अप्पे रंग से मिसाल रसिकम्पम्यास सचित्र सम्या परिप मिमता । रमी रपेड पशि से की प्रतिमा पपाई-मई मादी । सम्पर विर पीक पम्यास पात प्रदा। पान की पीज। पनुपार मापा सरका। पर मम्प म सिता । पग्मित समानद हरी से अंगमा से पनुपारित किया है। मूल पुस्तक भीयुक्त हरिसा. () सावित्री-पा मी पर गाय सम्पास है। पन मुसोपाध्याय की मिली हुई है। पद्यपि इस पुस्तक में इसके प्रमुपादक-पगित गुमशाबास धनुदी । मृत पिसासिता भरतार गाजादा ससीम के सम्बन्ध में पुस मेशक का नाम रामसाद चाय । पर-संग्या २.॥ इस सिखा गया है, तथापि परमीमता मी पाने पाई। और मूल्य पाठ माने है। इसमें एक पति-परायणा मापी मुड प्रम्पकार में प्रत्येक म्पतिका चरित्र पर समम-म का परिस मिला गया है। पर पविता मुम्बरी सास-ससुर र चिमित किया है। समधि रूप में पुस्तक प्रदीपन पड़ी भार पति-शरा परित्या कर दी गई थी। पति ने द्वितीय है। परने में मन पप मगा। अनुपार की भाषा विवाद र लिया था। मरी पनी ऐसी परिया थी कि समास-बहुधा होने पर मी मरस।कही ही कुछ एय- रस कारण उसके पति की सारी सम्पदा और इस सम्मारा मग सानेपामे है। जैसे-तिमामा' 'मासाहरातस्य नर हो गई त में तिररएता पतिपता को पुमा अपने महम इत्यादि। पर में पानब मिया। इसके माने पर उस पर में पक्ष्मी बाप और गम्परा भी पत्र-तत्र प्राप पम्प । की फिर पाटि दुई। विपप भी पप्पा है। माषा मी पवा-"मूमधार पटि मी कमी" (..पं.३) भणी है। पुस्तक में प्री-पुरुष दोको शिपा मिली। __पमुना भी पसी बा+ + + + एक पपरवारे (1) पन्ना-पर माराइम पार पारेपः मत - मोमीन्यान पुतम पोम पार रोप से + पूर-सम्या . और मूम्प । भामे है। मेग, भीयुन + + + सम्मादिनी की मांति वाती " इस्पादि। अपारी प्यप्रकारामि । मेवा के मारामा गपसिंग पापे की भी मूसँगई। पापि इन पुरिनेको , उनमी पाण्यावस्था में गत पा मामो मर्ग पर शात्री देते हुए भी पुकाका मार पड़ी तब समझ में भा मा चापा था। प्ती परमारे पामय पर इस भारत शता । पुमत पर मुसम्मन्प-प्रचारक माली, म. श्रीष्टि हुई।इसरापानमाया। मार पानं रि सरकार येतयानागारपाता हो सिम में मया माराम तारने में मा मासूम देगा, पर मैं मे मिमी नहीं कर सकता। बीदत पला (४) पनाहार-मनम, पति ममममा मि । Tठ समाप पार पाने । हम निच मगाए -दरिदास पंट कम्पनी की पुस्तक (१) मा सोगिता का सपा ममापन प्रनाथ-बासक । एक गारंप पयाममाया ... परशरा पुत्र को पिता के पारा । मा. मूल्य • भान है । गत पारमनाम निपार पत्र में यही गुन्दा मुगा निपा। पार मी माम की पैगमा पुमा संम्दिी में सपा किया है। पिए पुनर समोर मुबारे मेसकर रोम रइसमें एक ' (५) पतिमता सुगीनि मंग, ति माग विप णन किन गया है। पर हम परत दिदी म सा मूस्य पाने परम्प मापी पणनमा गापि पुरी पसार पाराणिक पर An गरा या का हननी पुरी किए नाप र पार ए म माग MATी मृति रिपगमिरासदम्प में भर गया।मांसी-मदिर पास गर्व गाभार- पानी प्रशंसनीय रोगों का बनारसमित ब प भyfon: