पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४९

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. . . , . सरस्वती। . .. [भाग १) - कोईरो दोधार परेकी पुस्य मानती है । शिपा बदिपा भादि पौध भाषामों के इतिहास और किसान स्माम से सफेट दिया गया है। म्स पर एक और सादा का नवीन शान प्राप्त हो। पा भगा कर पापस्ता सन्ना कार में रख दिया । . उपसंहार ।.:. .. , पहारेकागजी प्रन्या का समा शुत मा। मैन । का म पु-भाण्डारों का परियामा पाठक, पारन 'धर्म के प्रतिरिक परिक धर्म के मी बेद, पुराण, स्पति, ... हुए हमने भार मी तिमी ही प्रामक पारा प्पामय, काप्प, प्रेप पादि प्रम्प इस सपा में है। . श्री ने अपने सारियो पुट किया हो पानाम धर्म के अनुयापि साहित्य को भी गमान पुन न मिशन में भारत की मुख्य मुख्य समी मापायों किया है। ये सादित्य सरपयशात . में मोड़ी पास प्रग्यसपना की प्रा-साहित्य का उसका प्रचार भी किया ' मेमेतर प्रयों पर है। मिास मागर तो कवर मी की मपधि है। अपग्र रिपनी करके न मययन अध्यापन का मन मापा का दिली, गुजराती, मराठी, पजापी भार रामताने की दिया है। सारो प्रन्यों को अपने भाणारी में दिमम 'भापाणे से मिस्ट समय।इस मापा का म्यारण नाश होने से सपा लिया है।गा कोई मप तिल मण्याचार्य में विस्तारपूर्वक सिप। इस मापा सभी रे सपसे पाये इन भागाव र प्रबिरोप ज्ञान प्राप्त करने के लिए विद्वान् बरमुका जमीनमीरे सामानों पापम्प सरमित समपर! . पान्नु प्यारे सिमा प्रम्य कोई अन्य प्रमी तक प्रसपा मे कुमारपार पारिमाणार मा. दस्तात महीं हुमा । बा के भागारों में कोई दस सार प्रारम्म पिया तर मन्त्री प्रापा ने भनेक प्रगतमासा मोगमा इस मापा का साहित्य नियमान है।चटर अन्य बचापे । सने गये पर मार कर पलका पर्मन जय विगत पास प्राये पेसामने इस इस मार्ग से सममेर पहुँण दिया । सामेर में से पुrat' पिपप की पिशेम सामग्री प्राप्त करने रेमिए दीपप्प ' । इस समय पहमी RE रोमे मीना पर' की पी। अपभ्रंश-मारा सम्पाप में गोपवा.. विपत्तिा मा का मन्यों की रवा दी यह मेमो पर्यावरण एक पु- भिमा शापि


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