पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५४४

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संख्या ५] मयिष्यवाणे। २५१ इतिहास में युगान्तर उपस्थित हो गया है। इसे कोई क्या प्रभुत्य का गर्व और प्यसन चमक रहे थे। भी प्रस्पीफार महीं कर सकता। . नतिक अध:पतन से ही जाति फा व्यापतनाता अंगरेजी शिक्षा के प्रचार से भारतयासियों की है। इतिहास इस पात को उसे की चोट कर रहा पिचार प्रणाली के ऊपर मधीन प्रासोक पड़ा। इसका है। मुसलमानों के संसर्ग से हिन्दुओं का प्रादर्श भी फल यह दुमा कि लोग पुराने विचारों को ज्यों का पात गिर गया। यो मानने के लिए तयार न रहने सगे। समी मातों ऐसी प्रपस्था में समुद्र-पार से स्याधीमता की में, पाद भली दो घादे पुरी, अपनी विचार-शक्ति से भनक इस देश में गंजने एगी | गप, पप, नाटक, काम लेना स्लोग अच्छा समझाने लगे । मिल, स्पेन्सर, विनयचा, दर्शन, इतिहास, स्थापत्य रस्यादि प्रत्येक कम, सारमिन की विचार प्रणाली का अनुकरण पिपय में हम परिवर्तन देखते हैं।राम्प-दासन करने टगे । जाम माइट, पर्क, पिट, फ़ारस के राजा तथा राजनैतिक विषयों में हम नपे भायों से परि- नैतिक पिचारो से पम्होंने कितने ही उदार-माय प्राहम चित हो रहारसी तरह सामाजिक तथा धार्मिक किये । नियम-पद शासम-व्यवस्था (Constitution) विषयों में भी मये मायों का सम्धार हो रहा है। सर्पया विदेशी पस्तु है । यह अंगरेजी शिक्षा दी प्राम-संस्था (Village coinmunits) के साश की पदोलस उपसाप है। मय तक मारठयासी म मालूम कितनी पुरानी पातें, पुरानो संस्थायें, "विलीवर" सपा "जगदीप्यर" का एक ही अर्थ पुरानो रीति-रस्में बदल गई पार कितनी पदमनी आ समझते पे। अप उनको समझाया गया है फि रामा रही है। परिपर्सम पिचार करने पर उनसे शिक्षा प्रजाति के लिए है। उससे सेया लेने के प्रहण करने योग्य है। लिए महा। यहां पर एक पात पार कर देना साचत है। सुरेन्द्रनायसिंह पह यह कि भारतपासी प्रप पन से मान को घेछ समझने लगे हैं। इससे पहले शक्ति, धन, प्रभुत्या ही पार पा। पड़े पादमी ये कदलाते थे जो भविष्यद्वाणी। अपने पन तपा मभुन्य के पल से कुछ मनुप्पी पर रोप समापे दुपये। नयाची ठाट-बाट, पेपयापों का गम्मणिय मानवी ही मारेगा, माप-मुखरा, गलयुमो की लड़ापपराप्ती, परदनी ।। बियप मामी भागे पारंगा । इत्यादि की पिपुलता, पिपाद प्रादि में फिजस्टमर्षी. पर निशिरा ममो पारगारंग, जरी के कप पार मारमल पार पमराय के मनिला निगा मागे। अंगरमे को दी लोग मनुप्प-मीयन के सार पदार्थ समझने मूर्य को उसकी भूगता मुझानेपाना मन-शनि-गमा रियल मांगा। कई मथा । परल पद दुपा कि मुसलमानी की साप-मनिमागार होम मिति पारंणा । प्रयमनि का पाम्म दो गया । यार पार हुमायं तीन एक-साप, पम- की पूर्व पीरता, प्रकार की समदनिता पर गुप पानी, a comगमन् । माहिता,फिरसी, गुलफल्न इस्पद का पाशिस्य इम समप टुम-प्राय पा । यत पिसारिनता, पम