पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५६७

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- - हीरा ! मोती ! पन्ना ! मुनिए। मुनिर !! कृपि-सम्बन्धी पुस्तके . . दो भपये में दोन गम मो हमारे यहाँ किसी :- ११ "पेतीपारी"- पानीप्रसाप मिभचिका | नल्या २"प्रयंशारत्र"-प्रोफेसर. पालापा Fir मत कीजिये मटपट ६. रमाकाम्न ग्याम. रामवैध कटरा, प्रयाग के पनाप हुए रसों को |३"शामाती"-ताला पीपपात माग मंगा पर परीक्षा कीजिए। "पशुचिस्सिा "-प्रास् गुमासदम मुस १-पति माप सिर में दर्द हो, सिर ममता | ५ " हानिक पेती "-दमन्तामारी.देची निगा दो, मस्तिष की गरमी पर कमजोरी प्रादित मूल्य पौर गाविसी तेल से भी फायदा म हो तो सम. "शापि-कोप "-पीपरी रामसिंद कि झिये कि सिर्फ म्यासमी का बनाया दुपा "मि. | मूल्य सागर "दी इसकी पासीर दपा है। ७"गई की देती"मा रामपामाद साहब परि मधिक पढ़ने में विक मानसिक परिश्रम म से पकाते हो और परीमा में पास पा पारा | ८ "दूध पीर रसग्री पिपागिता मूल्य ,

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रातो हिमसागर र रोजगा इससे मस्तिफ |"यपार उससे रापप गुड पमन्ने पनि हा गंगा । पटे में समझनेपाली पातें मिमय में मुन्या प्रमझ सकोगे। दाम शीशी। १० "पाद पीर उमरामपहार"-पशिम : त्रिपाठी, नितिन-मूल्य २-पारिक पूर्व-शीत तु के ए प्रत्यय । पापापामरिया। पता:-कृपिभवन, प्रयाग। १-२ पाप मन्दाप्ति हो, भूप ही नपे चिन , , भाजन पार पायु मे पर फूला दो, मी धोपी गमरप्प पामम .. मपटाता दे, गतामा दीप पटी" on - * 1E गल्पा , पप्पा पापा पटी मेंगा घर मेपन कीजिये। पनी पपिटामिनो frofर में पानी रहती हैं। मुना। पा-1 Unrn . मंदिर में करनी दया. शिर मारामा पीर Ent1""" me गार। नयना भेदान जंग " .... या गाने का पना- पर हमने हमीर सदर मुद्रा पहने पं० ग्नातान्त व्याम. गजा FEAणा- पररा-माण भनेजर पंडियन प्रेम, प्रयाग