पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५९६

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या OBER इंडियन. प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें * । वालभोजप्रवन्ध । । है। इसे पढ़ सुन कर पाखों से पांसुमो की पाण पहने लगती है और पापाप-रदय भी मोम की तरह २३--रामा भोज का विधाप्रेम किसी से छिपा द्रगोमूव हो जाता है। मूल्य II) नहीं है। संस्थत्व मापा के "भोजप्रपन्य" नामक प्रन्य में रामा भोज के संरत-विधाप्रेम-सम्पन्धी अनेक मपिन पापान लिखे हुए हैं। पड़े मनोरजक और शिसादायक है। उसी भोजप्रपन्ध का साररूप पद यादर्शमहिला। "पाल-भीमप्रसन्ध" पफर सेपार हो गया। सभी ___ या वो स्री-शिण की प्रय व भनेक पुम्वः यन हिन्दी प्रेमियों को पह पुस्तक प्रयश्य पढ़नी पाहिए। पुकी है। पर यह पुस्तक स्त्री-गिया के लिए मादर्श- मूल्य केवल 1) माठ पानं । स्वरूप। मीपण्टिव मपनचन्द्र जो मुम्योपाध्याय ने बाल-कालिदास । गला भाषा में एक पुस्तक, 'भादर्शमदिला' लिखी है। उसी पुस्तक का यह हिन्दी-अनुपाद है। इसमें सामिासको काम पाप पाल्पान है उनमें १-सीता, २-मावित्री, ३-दमयन्ती, ४--रीच्या, ५-पिन्या-न पाप २५-इस पुस्तक में महाकवि कालिदास केसप प्रन्यों देवियों के जीवन-पटना का सीवा जागता पर्दन मे उनकी पुनी हुई उपम फदापयों फा संपाद किया। मनासे ठंग पर लिसा गया है। पुस्तक दिमाई माईत गपा । ऊपर श्लोफ दे फर नीपे उनका प्रर्य पार पाने मीन सोपों में ममातारा परिया मापार्य हिन्दी में किया गया है। फालिदास की पिन भी दिये गये जिन में फर पितरंगीन। । कदाग पड़ी अनमोल हैं। उनमें सामामिफ, मैतिक मिन्द मी पड़िया गांधी गई।इने परमी मसा- । भौर प्राधिक 'सत्यों का पढ़ी पूरी के माय यन

  • पारण के सुभाने के लिए मूल्य फेरल १७ गया

. किया गया है। इस पुस्तक को उपियाँ पपों को पार , रुपया। । करा देने से ये पतुर पनेंगे पार समय समय पर उन्हें । काम देवी रहेंगी। मूस्प फेपल ।। पार माने है। पोडशी। सीतावनवास । पंगता के प्रसिद्ध पाल्यायिकानाराम मीयुत ससिख पण्टिव सरपन विधामागर रिदिप प्रमाणमार पायू की प्रभारगालिनी सेपनी में "सीतार-यनरारा' नामक पुगक का पद दिन्दी लिागी ग १६ माज्यापिकामों का पार गमा, मंगला अनुराद। इस पुमा में भीगमपन्दीका गर्भ में पड़ा मिर है। रमी का पद हिन्दो अनुगर की सीमागी परित्यागको विस्तारकाया पड़ी । ये कदानियोलिनी में एकदम मईधार सीपक भार फरारम-मरी माग में सिरत गां परने योग्य मूल्प १२७सको पायी फा १) पुस्तक मिसन का पा-मेनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग।