पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/७२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सम्या 1 भारतीय शासन-प्रणाली। १७७३ में रेगुलेटिंग एक (Regulating किया गया कि कोई भारतयासी, जो पानी की ict), जिसका वियरम ऊपर दिया गया है, पास प्रजा है, अपने धर्म, सन्मस्थाम, यश, प्रथया रक मा था। के भेद के कारण फम्पनो के अधीन किसी पद का । १७९३ में, जय लाई कार्मचालिस गयर्नर जनरल अधिकारी देने के प्रयाम्प न समझा जायगा। ।, यह अधिकार-पत्र २० वर्ष के लिए बदला गया। १८५३ में लाई सहीसी गवर्नर जेनरल थे। र कम्पनी का स्वस्य ज्यों का स्यों बनारहा। इस पारधीस वर्ष अधिकार-पत्र के परिवर्तन का । १८१३ में ला मिन्टी गवर्नर जनरल थे। पिला नियम उठा दिया गया। निश्चय हुआ कि पार्लमेंट सप पंत में इस समय व्यापारियों ने भान्दोलम मचाया तक घारगी कम्पनी को रसमेगी। मिटिमा आति ने से भारत का पाणिज्य फिसी कम्पनी विशेष के भारत कंत्र अपना लिया पार स्पष्ट लिग दिया कि हाथ में म जाना चाहिए । भारत वाणिज्य पर कम्पनी इस देश को सम्राट् की पोर से अमानत कैपट स्टरिया कम्पनी ही का सारा नाना । के तौर पर रालेगी । पहाल में सेफ्लेमेन्ट गयनरी चाहिए। पालेमंटने ऐसा ही किया। कम्पनी को की गई। गयर्नर जेनरल की कौन्सिल में नियमादि कैयल चीन-समुद्र में व्यापार करने का अधिकार षमाने के लिए बाहरी (dditional) सभासद मिला। उसी समय कछ उवार राजनीतिमा में नियत करने का अधिकार मिलापार कोन्सिट का अंगरेज-जाति का ध्यान इस पोर दिष्टाया कि कार्य-यियरण सर्वसाधारण पर प्रकाशित किया कम्पनो में जब अपना प्राधिपत्य भारत पर समा जाने लगा। कानूनो मेम्पर (IAN Meinter ) को दिया है सब उसका यह कर्तव्य है कि इस देश की सम्मति देने का अधिकार मिला। धार्मिक पार सामाजिक प्रयस्था को सुधारे । स १८०८ के प्रत में सिपादी-विद्रोह समास दो 'पर पादरियों को मारनवर्ष में प्राकर पर्म पार शिक्षा- पुका था। प्रिटिश आमि मे भारत के शासन के प्रचार करने की प्रामा मिली। कम्पनी के प्राचीन रगना प्रध पिलकुम ही अनुचित । १८२२ में लाई पिलियम पेंटिक गया औतार समभा । कम्पनी मे सारा अधिकार में लिया गया। पता मे फम्पमी को पीन-समुद्र में भी व्यापार गले के सम्राट् ने मारतीय राजराजेभ्यर का पर करने की मामा म दी गई। इस भय व्यापारियों का प्रहरप किया। गवर्नर जनरल को गजमेर के यह दम् पूर्णरुप में गजतिक हो गया । प्रागरे ' मारतीय प्रतिनिधि का अधिकार मिला पार पे काममा चायी गपर्नरी पनाया गया। परन्तु शीय पाामराय (Viceros) नाम से प्रदरत हुए। • ही पदो सेरेमेन्ट गवर्नरी की गई। गवर्नर जनरल सघ मे पहले यह मामाग्य साई फेनिंग को प्राप्त । कानम पनाने पर अधिकार दिया गया। कानून हुमा । वसी साल की। मपम्परप्रयाग में गज- धनाने के दिए मिल में कानून मे सम्पन्य राजश्यरी पिरोरिया पापापणापत्र प्रकाशित किया गगने थामा एक समासद-विशेष (Lar Irules) गया। गिलायत में पारी प्राप् पट्रोल (lioantil निपत हुमा परन्तु उसको मम्ममि देने का अधिकार Contnil) तर दी गई। उसम्र काम करने को मदिया गया। शासन के लिए यह मूल सिदान्त स्थिर लिए भारतीय मेटरी प्राय पट (•erretory .. State) का नाम पर माया गया पार टमरे . म भापति भातशामन महायतार्थ एक पम्मिन नियतम समय मेचंपकर मिले। तागीय प्रहरी सिमसाधी गम्प समनी