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सर्वोदय

अमीरी चल सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि एक आदमी को धनवान् होना हो तो उसे अपने पड़ोसियों को गरीब बनाये रहना चाहिए।

सार्वजनिक अर्थशास्त्र का अर्थ है ठीक समय पर ठीक स्थान मे आवश्यक और सुखदायक वस्तुये उत्पन्न करना, उनकी रक्षा करना और उनका अदल-बदल करना। जो किसान ठीक समय पर फसल काटता है, जो राज ठीक-ठीक चुनाई करता है, जो बढ़ई लकड़ी का काम ठीक तौर से करता है, जो स्त्री अपना रसोईघर ठीक रखती है, उन सबको सच्चा अर्थशास्त्री मानना चाहिए। ये लोग सारे राष्ट्र की सम्पत्ति बढ़ाने वाले है। जो शास्त्र इसका उलटा है वह सार्वजनिक नहीं कहा जा सकता। उसमें तो केवल एक मनुष्य धातु इकट्ठी करता है और दूसरों को उसकी तङ्गी में रखकर उसका उपभोग करता है। ऐसा करनेवाले यह सोच कर कि उनके खेत और ढोर वगैरा के कितने